हिंदू पंचांग के अनुसार 9 अप्रैल, मंगलवार से चैत्र नवरात्रि की शुरुआत हो रही है। हिंदू धर्म में किसी भी धार्मिक अनुष्ठान से पहले कलश स्थापना की जाती है. नवरात्रि में दुर्गा की घटस्थापना या कलश स्थापना के बाद देवी मां की चौकी स्थापित की जाती है तथा 9 दिनों तक इन देवियों का पूजन-अर्चन किया जाता है. कलश को भगवान विष्णु का प्रतीक माना जाता है।


पंडित सुधांशु तिवारी (प्रश्न कुण्डली विशेषज्ञ/ज्योतिषाचार्य)
मां दुर्गा की पूजा करने से पहले कलश की पूजा की जाती है। नवरात्रि में मां दुर्गा के 9 स्वरूपों की विधि-विधान से पूजा की जाती है। सालभर में कुल 4 नवरात्रि आती हैं जिसमें चैत्र और शारदीय नवरात्रि का महत्व काफी ज्यादा होता है। माना जाता है कि नवरात्रि में माता की पूजा-अर्चना करने से देवी दुर्गा की खास कृपा होती है। मां दुर्गा की सवारी वैसे तो शेर है लेकिन जब वह धरती पर आती हैं तो उनकी सवारी बदल जाती है और इस बार मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर धरती पर आएंगी।
चैत्र नवरात्रि घटस्थापना मुहूर्त
चैत्र नवरात्रि मंगलवार, 9 अप्रैल 2024 घटस्थापना मुहूर्त- सुबह 6 बजकर 02 मिनट से सुबह 10 बजकर 16 मिनट तकअवधि- 4 घंटे 14 मिनट्सघटस्थापना अभिजीत मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 57 मिनट से दोपहर 12 बजकर 48 मिनट तक।

चैत्र नवरात्रि तिथियां
चैत्र नवरात्रि प्रतिपदा तिथि व्रत 9 अप्रैल 2024 – मां शैलपुत्री की पूजा। चैत्र नवरात्रि द्वितीया तिथि व्रत 10 अप्रैल 2024 – मां ब्रह्मचारिणी की पूजाचैत्र नवरात्रि तृतीया तिथि व्रत 11 अप्रैल 2024 – मां चंद्रघंटा की पूजाचैत्र नवरात्रि चतुर्थी तिथि व्रत 12 अप्रैल 2024 – मां कुष्माण्डा की पूजा चैत्र नवरात्रि पंचमी तिथि व्रत 13 अप्रैल 2024 – मां स्कंदमाता की पूजाचैत्र नवरात्रि षष्ठी तिथि व्रत 14 अप्रैल 2024 – मां कात्यायनी की पूजाचैत्र नवरात्रि सप्तमी तिथि व्रत 15 अप्रैल 2024 – मां कालरात्री की पूजाचैत्र नवरात्रि अष्टमी तिथि व्रत 16 अप्रैल 2024 – मां महागौरी की पूजा, अष्टमी पूजनचैत्र नवरात्रि नवमी तिथि व्रत 17 अप्रैल 2024 – मां सिद्धिदात्री की पूजा, नवमी पूजन।
चैत्र नवरात्रि की तिथि
प्रतिपदा तिथि प्रारंभ- 8 अप्रैल को रात 11 बजकर 50 मिनट से शुरू होगीप्रतिपदा तिथि समापन- 9 अप्रैल को रात 8 बजकर 30 मिनट तक।
चैत्र नवरात्रि पूजन विधि
घट अर्थात मिट्टी का घड़ा. इसे नवरात्रि के पहले दिन शुभ मुहूर्त के हिसाब से स्थापित किया जाता है. घट को घर के ईशान कोण में स्थापित करना चाहिए. घट में पहले थोड़ी सी मिट्टी डालें और फिर जौ डालें. फिर इसका पूजन करें. जहां घट स्थापित करना है, उस स्थान को साफ करके वहां पर एक बार गंगा जल छिड़ककर उस जगह को शुद्ध कर लें. उसके बाद एक चौकी पर लाल कपड़ा बिछाएं. फिर मां दुर्गा की तस्वीर स्थापित करें या मूर्ति. अब एक तांबे के कलश में जल भरें और उसके ऊपरी भाग पर लाल मौली बांधें. उस कलश में सिक्का, अक्षत, सुपारी, लौंग का जोड़ा, दूर्वा घास डालें. अब कलश के ऊपर आम के पत्ते रखें और उस नारियल को लाल कपड़े से लपेटकर रखें. कलश के आसपास फल, मिठाई और प्रसाद रख दें. फिर कलश स्थापना पूरी करने के बाद मां की पूजा करें.घोड़े में सवार होकर आएंगी मां दुर्गा । इस साल चैत्र नवरात्रि पर मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आने वाली है। बता दें कि मां के वाहन का चुनाव दिन के हिसाब से किया जाता है। इस साल चैत्र नवरात्रि मंगलवार को शुरू हो रही है। इसलिए मां दुर्गा घोड़े पर सवार होकर आ रही है। घोड़े में सवार होने का मतलब है कि सत्ता में परिवर्तन। इसके साथ ही साधकों के जीवन में आने वाले हर कष्टों से निजात मिलेगी।
चैत्र नवरात्रि का महत्व
नवरात्रि के दौरान मां भगवती और उनके नौ स्वरूपों की पूजा करने का विधान है। मां की विधिवत पूजा करने के साथ व्रत रखने से साधक को हर एक कष्ट से निजात मिल जाती है और सुख-समृद्धि की प्राप्ति होती है। इसके साथ ही हमेशा घर में खुशहाली बनी रहती हैं।
क्यों करते हैं कलश स्थापना ?
हिन्दू शास्त्रों के अनुसार किसी भी पूजा से पहले गणेशजी की आराधना करते हैं। हममें से अधिकांश लोग यह नहीं जानते कि देवी दुर्गा की पूजा में कलश क्यों स्थापित करते हैं ? कलश स्थापना से संबन्धित हमारे पुराणों में एक मान्यता है, जिसमें कलश को भगवान विष्णु का रुप माना गया है। इसलिए लोग देवी की पूजा से पहले कलश का पूजन करते हैं। पूजा स्थान पर कलश की स्थापना करने से पहले उस जगह को गंगा जल से शुद्ध किया जाता है और फिर पूजा में सभी देवी -देवताओं को आमंत्रित किया जाता है।

चैत्र नवरात्रि के दौरान मां को अर्पित करें ये चीजें
प्रथम दिन-
नवरात्रि का पहला दिन माता शैलपुत्री की उपासना के लिए समर्पित है. इस विशेष दिन पर मां शैलपुत्री को घी से बनी चीजों का भोग अर्पित करना चाहिए।
दूसरा दिन-
नवरात्रि पर्व के दूसरे दिन माता ब्रह्मचारिणी की उपासना की जाती है. मां ब्रह्मचारिणी को चीनी या मिश्री का भोग अर्पित करना चाहिए. ऐसा करने से वह प्रसन्न होती हैं।
तीसरा दिन-
चैत्र नवरात्रि के तृतीय दिवस पर माता चंद्रघंटा की उपासना का विधान है. मां चंद्रघंटा को दूध से बने मिष्ठान और फल का भोग अर्पित करना चाहिए।
चौथा दिन-
नवरात्रि पर्व की चतुर्थ दिन पर मां कुष्मांडा की विधि-विधान से पूजा की जाती है. पूजा के दौरान मां कुष्मांडा को मालपुआ का भोग लगाना चाहिए।
पांचवा दिन-
नवरात्रि पर्व के पांचवें दिन मां स्कंदमाता की उपासना की जाती है. मां को केले या इससे से बने सात्विक व्यंजन का भोग लगाना चाहिए।
छठ दिन-
नवरात्रि पर्व के छठे दिन माता कात्यायनी की उपासना का विधान है. पूजा-पाठ के दौरान माता को शहद या इससे बने मिष्ठान का भोग लगाना चाहिए।
सातवां दिन-
सातवें दिन माता कालरात्रि की पूजा की जाती है और इस दौरान मां को गुड़ से बने व्यंजन को भोग के रूप में अर्पित किया जाता है।
आठवां दिन-
चैत्र नवरात्रि के अष्टम दिवस पर माता महागौरी की उपासना का विधान है. इस विशेष दिन पर मां महागौरी को नारियल का भोग लगाया जाता है. इसके साथ नारियल से बने मिष्ठान का भी भोग अर्पित कर सकते हैं।
नौवा दिन-
नवरात्रि पर्व के अंतिम दिन कन्या पूजन का विधान है और इस दिन माता सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है. इस दिन हलवा-पूड़ी का भोग अर्पित करना चाहिए।
इन चीजों का न करें सेवन
नौ दिनों के व्रत के दौरान भक्तों को शराब, तंबाकू और मांसाहारी भोजन के सेवन से बचना चाहिए। तामसिक भोजन जैसे लहसुन, प्याज आदि का भी सेवन नहीं करना चाहिए। सात्विक भोजन करना चाहिए। रात के समय हल्का भोजन करना चाहिए। उपवास के दौरान आप सिंघाड़े का आटा, दूध, साबूदाना, आलू और फलों का सेवन कर सकते हैं। सरसों का तेल और तिल का सेवन नहीं करना चाहिए। सादे नमक के स्थान पर सेंधा नमक खाना चाहिए।
नवरात्रि व्रत में इन बातों का रखें ध्यान
नवरात्रि में पूजा के दौरान भक्तों को सुबह सूर्योदय से पहले जल्दी उठकर स्नान कर लेना चाहिए। देवी दुर्गा की पूजा के दौरान साफ-सफाई का विशेष ध्यान रखना चाहिए। बगैर शुद्धिकरण के माता के पंडाल में भी प्रवेश नहीं करना चाहिए। नाखून व बाल न काटे। नवरात्रि में उपवास के दौरान व्रती को नाखून काटने, बाल कटवाने या दाढ़ी काटने जैसे क्षौर कार्यों से बचना चाहिए और दिन में सोने से बचना चाहिए। नवरात्रि के दौरान काले कपड़ों को पहनना वर्जित होता है। इसके अलावा चमड़े से बनी हुई चीजों का भी उपयोग नहीं करना चाहिए।
इन लोगों को नहीं करना चाहिए उपवास
नवरात्रि के दौरान देवी भक्त जरूर उपवास करते हैं, लेकिन गर्भवती महिलाओं व बच्चों को नवरात्रि के दौरान उपवास नहीं करना चाहिए। अपनी सेहत व सामर्थ्य के अनुसार ही उपवास करना चाहिए। इसके अलावा गंभीर बीमारी वाले लोगों को भी उपवास नहीं रखना चाहिए।

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