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Bahraich news; गेरूवा नदी बनी घड़ियाल संरक्षण की साक्षी, कतर्नियाघाट में पर्यावरण संरक्षण को बढ़ावा

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अतुल्य भारत चेतना
रईस

बहराइच। 20 जून 2025 को बहराइच के कतर्नियाघाट वन्यजीव अभयारण्य की जीवनरेखा गेरूवा नदी में केंद्रीय पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेंद्र यादव ने घड़ियाल प्रजाति संरक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ किया। इस अवसर पर उन्होंने एक वर्षीय घड़ियाल शावकों को नदी की स्वच्छ जलधारा में छोड़ा, जो संरक्षण प्रयासों की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। कार्यक्रम में उत्तर प्रदेश के राज्यमंत्री (वन, पर्यावरण, जंतु उद्यान एवं जलवायु परिवर्तन) के.पी. मलिक, बहराइच सांसद डॉ. आनंद कुमार गोंड, और वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारी मौजूद रहे।

घड़ियाल संरक्षण कार्यक्रम का शुभारंभ

केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने गेरूवा नदी में नौका विहार के दौरान घड़ियाल शावकों को प्राकृतिक आवास में छोड़कर इस संरक्षण कार्यक्रम की शुरुआत की। उन्होंने कहा कि घड़ियाल, जो स्वच्छ और बहती नदियों का संकेतक है, नदी के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए महत्वपूर्ण है। गेरूवा नदी में 550 घड़ियालों की मौजूदगी इस क्षेत्र में संरक्षण प्रयासों की सफलता को दर्शाती है।

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वन और वन्यजीव: प्राकृतिक धरोहर

मंत्री यादव ने अपने संबोधन में कहा कि वन और वन्यजीव इस धरती की प्राकृतिक धरोहर हैं, जो पारिस्थितिकीय संतुलन बनाए रखते हैं। उन्होंने बताया कि भारत में बाघ, हाथी, और गंगा डॉल्फिन जैसे वन्यजीवों के संरक्षण के लिए पहले से परियोजनाएं चल रही हैं, और अब घड़ियाल संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। उन्होंने दुधवा टाइगर रिजर्व में मानव-वन्यजीव संघर्ष प्रबंधन पर आयोजित कार्यशाला का उल्लेख करते हुए कहा कि जनप्रतिनिधियों, अधिकारियों, और गैर-सरकारी संगठनों से प्राप्त 25-30 सुझावों के आधार पर एक कार्ययोजना तैयार की जाएगी।

पर्यावरणीय समस्याओं का समाधान: वृक्षारोपण

श्री यादव ने पर्यावरणीय चुनौतियों के समाधान के लिए अधिक से अधिक वृक्षारोपण की आवश्यकता पर बल दिया। उन्होंने आमजन से अपील की कि वे अपनी मां के नाम पर एक पेड़ अवश्य लगाएं। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का विजन समुदाय आधारित विकास और स्वस्थ पर्यावरण पर आधारित है।

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कतर्नियाघाट: प्रकृति प्रेमियों का स्वर्ग

कतर्नियाघाट की प्राकृतिक सुंदरता की प्रशंसा करते हुए मंत्री ने इसे घने जंगलों, कल-कल बहती नदियों, और वन्यजीवों से परिपूर्ण एक अद्वितीय स्थान बताया। उन्होंने कहा कि यह क्षेत्र अच्छी कनेक्टिविटी और अनोखे आवास के कारण प्रकृति प्रेमियों के बीच लोकप्रिय है। उन्होंने कतर्नियाघाट के पर्यटन विकास के लिए राज्य सरकार और मुख्यमंत्री के साथ विचार-विमर्श करने की बात कही।

जंगल गश्त और किट वितरण

कार्यक्रम के दौरान श्री यादव ने कतर्नियाघाट के इंटरप्रिटेशन सेंटर में स्पेशल टाइगर प्रोटेक्शन फोर्स के जवानों से संवाद किया और उनकी गतिविधियों की जानकारी ली। उन्होंने जंगल गश्त के लिए किट का वितरण भी किया। उन्होंने अधिकारियों को निर्देश दिए कि मानव-वन्यजीव संघर्ष से संबंधित मुआवजे के मामलों में समयबद्ध कार्रवाई की जाए ताकि पीड़ितों को त्वरित सहायता मिल सके।

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उपस्थित गणमान्य व्यक्ति

इस अवसर पर महानिदेशक वन सुशील कुमार अवस्थी, अपर महानिदेशक (वन्यजीव) रमेश कुमार पाण्डेय, प्रधान मुख्य वन संरक्षक सुनील चौधरी, प्रधान मुख्य वन संरक्षक (वन्यजीव) अनुराधा वेमुरी, अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक (प्रोजेक्ट टाइगर) ललित वर्मा, सहायक महानिदेशक राकेश कुमार जोगनिया, संयुक्त निदेशक (वाइल्डलाइफ क्राइम कंट्रोल ब्यूरो) डॉ. कृपाशंकर, फील्ड डायरेक्टर दुधवा एच. राजामोहन, प्रभागीय वनाधिकारी कतर्नियाघाट बी. शिवशंकर, उप जिलाधिकारी मिहींपुरवा प्रकाश सिंह, डब्ल्यू.डब्ल्यू.एफ. इंडिया के को-आर्डिनेटर आशीष विष्टा, वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन, और पशु चिकित्साधिकारी डॉ. दीपक सहित अन्य अधिकारी और कर्मचारी उपस्थित रहे।

सामुदायिक भागीदारी की अपील

मंत्री यादव ने आमजन से वन और वन्यजीव संरक्षण में सक्रिय सहयोग की अपील की। उन्होंने कहा कि घड़ियाल जैसे संकटग्रस्त प्रजातियों का संरक्षण न केवल नदियों के स्वास्थ्य के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि यह पारिस्थितिकीय संतुलन को भी बनाए रखता है।

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गेरूवा नदी में घड़ियाल शावकों को छोड़ने और कतर्नियाघाट में संरक्षण प्रयासों को बढ़ावा देने वाला यह कार्यक्रम पर्यावरण और वन्यजीव संरक्षण की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। केंद्रीय और राज्य सरकार की यह पहल न केवल घड़ियाल प्रजाति के पुनरुद्धार को सुनिश्चित करेगी, बल्कि कतर्नियाघाट को एक प्रमुख पर्यटन और संरक्षण केंद्र के रूप में स्थापित करने में भी सहायक होगी। यह आयोजन सामुदायिक भागीदारी, वृक्षारोपण, और स्वच्छ पर्यावरण के प्रति जागरूकता बढ़ाने में भी महत्वपूर्ण साबित हुआ।

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