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ब्युरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी
विदिशा। ग्यारसपुर के सभा कक्ष में प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (पीएम पोषण) के अंतर्गत स्व-सहायता समूहों के अध्यक्षों और सचिवों की बैठक सह प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस अवसर पर मध्याह्न भोजन से संबंधित सभी पहलुओं पर विस्तृत चर्चा हुई, और रसोइयों को स्वच्छता, गुणवत्ता, और जिम्मेदारी के साथ भोजन तैयार करने के लिए प्रशिक्षित किया गया। कार्यक्रम में जिला पंचायत अध्यक्ष गीता कैलाश रघुवंशी और जिला पंचायत सदस्य कुमारी दीक्षा लोधी सहित कई वरिष्ठ अधिकारी उपस्थित रहे।
बैठक का उद्देश्य और मार्गदर्शन
जिला पंचायत अध्यक्ष गीता कैलाश रघुवंशी ने स्व-सहायता समूहों को प्रोत्साहित करते हुए उन्हें “अन्नपूर्णा” का नाम दिया। उन्होंने निर्देश दिए कि मध्याह्न भोजन को स्वच्छता के साथ रुचिकर और पौष्टिक बनाया जाए। उन्होंने कहा, “हमारी टीम समय-समय पर रैंडम निरीक्षण करेगी ताकि भोजन की गुणवत्ता और स्वच्छता सुनिश्चित हो।” रघुवंशी ने रसोइयों से बच्चों के स्वास्थ्य को प्राथमिकता देने और उनकी पसंद को ध्यान में रखकर भोजन तैयार करने की अपील की। जिला पंचायत सदस्य कुमारी दीक्षा लोधी ने भी मध्याह्न भोजन की महत्ता पर प्रकाश डाला और समूहों से योजना के उद्देश्यों को साकार करने में सहयोग की अपेक्षा की।

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योजना के उद्देश्य और जिम्मेदारियां
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना की जिला प्रभारी कीर्ति चौहान ने योजना के उद्देश्यों पर प्रकाश डाला। उन्होंने बताया कि यह योजना स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के बच्चों को पोषणयुक्त भोजन प्रदान कर कुपोषण को दूर करने और उनके स्वास्थ्य में सुधार करने के लिए शुरू की गई है। चौहान ने स्व-सहायता समूहों के अध्यक्षों और सचिवों को उनके कर्तव्यों और दायित्वों के बारे में विस्तार से अवगत कराया। उन्होंने जोर दिया कि भोजन की गुणवत्ता, समयबद्ध वितरण, और स्वच्छता सुनिश्चित करना उनकी प्राथमिक जिम्मेदारी है।
प्रशिक्षण का विवरण
विकासखंड स्रोत समन्वयक ज्ञान सिंह अहिरवार ने शाला स्तर पर किचन शेड में भोजन तैयार करने की प्रक्रिया पर विस्तृत जानकारी दी। उन्होंने बताया कि भोजन बनाते समय स्वच्छता, सामग्री की गुणवत्ता, और सुरक्षा मानकों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है। अहिरवार ने रसोइयों को उन लापरवाहियों से बचने की सलाह दी, जो भोजन की गुणवत्ता को प्रभावित कर सकती हैं, जैसे कि अस्वच्छ बर्तनों का उपयोग या खाद्य सामग्री का अनुचित भंडारण।
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विकासखंड मध्याह्न भोजन प्रभारी विपुल जैन ने वर्षा ऋतु के दौरान भोजन तैयार करने में विशेष सावधानियों पर जोर दिया। उन्होंने रसोइयों से वर्षा के मौसम में उत्पन्न होने वाली समस्याओं, जैसे नमी से खाद्य सामग्री खराब होने या कीटों के प्रवेश, के बारे में पूछा और समाधान सुझाए। जैन ने कहा कि शैक्षणिक सत्र के दौरान मध्याह्न भोजन का सुचारू और विवादमुक्त वितरण सुनिश्चित करना सभी की साझा जिम्मेदारी है।
उपस्थित गणमान्य
बैठक में विकासखंड शिक्षा अधिकारी बी.एफ. मिंस, किश्वर खान (बी.एस.सी.), और अजय सेन सहित अन्य अधिकारी मौजूद रहे। सभी ने मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता और समयबद्धता पर जोर दिया। अधिकारियों ने स्व-सहायता समूहों को तकनीकी सहायता और प्रशिक्षण के लिए हर संभव मदद का आश्वासन दिया।
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योजना का महत्व
प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना (पीएम पोषण) भारत सरकार की एक प्रमुख पहल है, जिसके तहत सरकारी और सहायता प्राप्त स्कूलों में कक्षा 1 से 8 तक के लगभग 11.8 करोड़ बच्चों को पोषणयुक्त मध्याह्न भोजन प्रदान किया जाता है। यह योजना कुपोषण को कम करने, बच्चों के स्वास्थ्य और शिक्षा में सुधार करने, और स्कूलों में उपस्थिति बढ़ाने के उद्देश्य से चलाई जा रही है। विदिशा जिले में इस योजना को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए स्व-सहायता समूहों की भूमिका महत्वपूर्ण है।

स्थानीय प्रभाव और अपेक्षाएं
यह प्रशिक्षण सह बैठक ग्यारसपुर क्षेत्र में मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता और प्रबंधन को बेहतर बनाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। स्व-सहायता समूहों ने प्रशिक्षण के दौरान प्राप्त दिशा-निर्देशों को लागू करने का संकल्प लिया। स्थानीय लोगों और अभिभावकों ने उम्मीद जताई कि यह प्रयास बच्चों को स्वच्छ और पौष्टिक भोजन सुनिश्चित करेगा, जिससे उनका शारीरिक और मानसिक विकास होगा। जिला पंचायत अध्यक्ष श्रीमती गीता कैलाश रघुवंशी ने कहा, “यह योजना बच्चों के भविष्य को संवारने का एक सशक्त माध्यम है। हम सभी को मिलकर इसे सफल बनाना है।” उन्होंने जिला प्रशासन और स्व-सहायता समूहों से लगातार सहयोग और निगरानी की अपेक्षा की।
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विदिशा के ग्यारसपुर में आयोजित यह प्रशिक्षण सह बैठक प्रधानमंत्री पोषण शक्ति निर्माण योजना के प्रभावी कार्यान्वयन की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। स्व-सहायता समूहों को दी गई जानकारी और प्रोत्साहन से मध्याह्न भोजन की गुणवत्ता में सुधार होने की उम्मीद है। जिला प्रशासन और स्व-सहायता समूहों की सक्रियता से यह योजना विदिशा के बच्चों के लिए पोषण और शिक्षा का मजबूत आधार प्रदान करेगी।