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Chhindwara news; छिंदवाड़ा: चेक बाउंस मामले में संतोष सेमेकार दोषमुक्त, अधिवक्ता देशराज सूर्यवंशी की प्रभावी पैरवी

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अतुल्य भारत चेतना
अखिल सुर्यवंशी

छिंदवाड़ा। छिंदवाड़ा के पंचम अपर सत्र न्यायाधीश श्रीमान अभिषेक नागराज ने 50,000 रुपये के चेक बाउंस मामले में आरोपी संतोष सेमेकार को दोषमुक्त कर दिया। इस मामले में बचाव पक्ष की ओर से अधिवक्ता देशराज सूर्यवंशी ने प्रभावी पैरवी की, जिसके आधार पर न्यायालय ने अभियुक्त की अपील स्वीकार करते हुए उन्हें सभी आरोपों से मुक्त कर दिया।

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मामले का विवरण

परिवादी ने माननीय न्यायालय में एक परिवाद प्रस्तुत किया था, जिसमें दावा किया गया कि 23 अक्टूबर 2015 को उन्होंने संतोष सेमेकार को 50,000 रुपये की राशि उधार दी थी। इस राशि की वापसी के लिए अभियुक्त ने परिवादी को एक चेक प्रदान किया, जो बाद में बाउंस हो गया। इस आधार पर प्रथम श्रेणी न्यायिक दंडाधिकारी वीणा खालखो ने 21 सितंबर 2023 को संतोष सेमेकार के खिलाफ 6 माह के सश्रम कारावास और परिवादी को 85,625 रुपये प्रतिकर के रूप में प्रदान करने का आदेश पारित किया था।

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अपील और सुनवाई

निचली अदालत के इस फैसले से असंतुष्ट होकर संतोष सेमेकार ने माननीय सत्र न्यायालय में प्रकरण क्रमांक 159/23 के तहत अपील दायर की। अपील की सुनवाई के दौरान अधिवक्ता देशराज सूर्यवंशी ने बचाव पक्ष की ओर से तथ्यपूर्ण तर्क और साक्ष्य प्रस्तुत किए। उन्होंने परिवादी के दावों की प्रामाणिकता पर सवाल उठाए और प्रकरण के कानूनी पहलुओं को स्पष्ट किया।

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माननीय पंचम अपर सत्र न्यायाधीश अभिषेक नागराज ने दोनों पक्षों के साक्ष्यों, परीक्षण का गहन विश्लेषण किया। अधिवक्ता सूर्यवंशी द्वारा प्रस्तुत तर्कों और साक्ष्यों के आधार पर न्यायालय ने परिवादी के परिवाद को प्रचलन योग्य नहीं माना और संतोष सेमेकार की अपील स्वीकार कर ली।

न्यायालय का निर्णय

न्यायालय ने अपने फैसले में संतोष सेमेकार को चेक बाउंस मामले के सभी आरोपों से दोषमुक्त घोषित किया। यह निर्णय अधिवक्ता देशराज सूर्यवंशी की कुशल पैरवी और कानूनी दक्षता का परिणाम माना जा रहा है। उनके द्वारा प्रस्तुत तथ्यों और तर्कों ने मामले को अभियुक्त के पक्ष में मोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।

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यह मामला छिंदवाड़ा में चेक बाउंस से संबंधित कानूनी प्रक्रियाओं और अपील की प्रक्रिया को समझने के लिए एक महत्वपूर्ण उदाहरण प्रस्तुत करता है। अधिवक्ता देशराज सूर्यवंशी की पैरवी ने यह दर्शाया कि सटीक कानूनी तर्क और साक्ष्य किसी भी मामले में निर्णायक भूमिका निभा सकते हैं। इस फैसले से संतोष सेमेकार को न केवल कानूनी राहत मिली, बल्कि उनके सामाजिक सम्मान को भी पुनर्स्थापित किया गया।

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