अतुल्य भारत चेतना
अखिल सुर्यवंशी
छिंदवाड़ा। भारतीय शास्त्रीय नृत्य और संगीत की समृद्ध परंपरा को समर्पित कला संगम शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत महोत्सव 2025 का भव्य आयोजन 7 और 8 जून 2025 को छिंदवाड़ा के बादल बोई म्यूजियम ओपन ऑडिटोरियम, खजरी नाका में होने जा रहा है। इस महोत्सव में देश और विदेश के राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय स्तर पर सम्मानित कलाकार विभिन्न शास्त्रीय नृत्य विधाओं की मनमोहक प्रस्तुतियां देंगे। आयोजक संस्था कला संगम शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत महोत्सव समिति, छिंदवाड़ा ने इस आयोजन को कला प्रेमियों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बनाने की पूरी तैयारी की है।
महोत्सव का कार्यक्रम
आयोजन के निर्देशक श्री अमित डोले ने बताया कि यह दो दिवसीय महोत्सव शास्त्रीय नृत्य की विविधता और समृद्धि को प्रदर्शित करेगा। कार्यक्रम का विवरण निम्नलिखित है:
प्रथम दिवस: 7 जून 2025
- पृथ्वीजा बालागोपालन (चेन्नई) और के.पी. राकेश (चेन्नई): भरतनाट्यम जुगलबंदी
- सत्यनारायण राजू (बेंगलुरु): भरतनाट्यम
- अमित डोले (छिंदवाड़ा): भरतनाट्यम
द्वितीय दिवस: 8 जून 2025
- दुर्गा आर्या (जर्मनी) और मालती श्याम (दिल्ली): कथक नृत्य जुगलबंदी
- सात्विका शंकर (दिल्ली) और पूर्वा धनेश्वरी (दिल्ली): विलासिनी नाट्यम
इन प्रस्तुतियों में भरतनाट्यम, कथक, और विलासिनी नाट्यम जैसी शास्त्रीय नृत्य विधाओं का अनूठा संगम देखने को मिलेगा, जो दर्शकों को भारतीय संस्कृति की गहराई से रूबरू कराएगा।
लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड: शास्त्रीय नृत्य के दिग्गजों का सम्मान
इस वर्ष कला संगम ने एक नई पहल शुरू की है, जिसके तहत शास्त्रीय नृत्य, विशेष रूप से भरतनाट्यम, के विकास और साधना में जीवन समर्पित करने वाली विद्वान हस्तियों को लाइफटाइम अचीवमेंट अवार्ड से सम्मानित किया जाएगा। इस वर्ष निम्नलिखित दिग्गज कलाकारों को सम्मानित किया जाएगा:
- श्रीमती एन.एस. जयलक्ष्मी:
- रुक्मिणी देवी की नृत्य प्रस्तुतियों में प्रमुख कलाकार।
- विश्व के प्रतिष्ठित संस्थानों में सम्मानित प्रोफेसर।
- भरतनाट्यम के क्षेत्र में उनकी शिक्षण और प्रदर्शन कला ने वैश्विक स्तर पर ख्याति अर्जित की।
- श्रीमती पुष्पा शंकर:
- नृत्य-नाटिकाओं में दमदार अभिनय के लिए जानी जाती हैं।
- कलाक्षेत्र फाउंडेशन की प्रदर्शनियों की प्रमुख सदस्य।
- उनकी अभिनय शैली ने शास्त्रीय नृत्य को नई ऊंचाइयों तक पहुंचाया।
- श्री आर्यम्बथ जनार्दन:
- कलाक्षेत्र फाउंडेशन के लिए कर्ण सप्तम और श्री पुरंदर जैसे नृत्य-नाटकों की कोरियोग्राफी।
- अपने पिता टी.के. चंदू पणिक्कर से कथकली और रुक्मिणी देवी अरुंडेल से भरतनाट्यम की शिक्षा प्राप्त की।
- कथकली और भरतनाट्यम के संयोजन से उन्होंने शास्त्रीय नृत्य को समृद्ध किया।
इन दिग्गजों का सम्मान न केवल उनके योगदान को सलाम है, बल्कि अगली पीढ़ी के कलाकारों के लिए प्रेरणा का स्रोत भी है।
आयोजक का संदेश
कला संगम शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत महोत्सव समिति के निर्देशक श्री अमित डोले ने कहा, “यह महोत्सव छिंदवाड़ा में शास्त्रीय कला को बढ़ावा देने और स्थानीय दर्शकों को विश्वस्तरीय प्रस्तुतियों से जोड़ने का एक प्रयास है। देश और विदेश से आए कलाकारों की प्रस्तुतियां और दिग्गज हस्तियों का सम्मान इस आयोजन को विशेष बनाएगा। हम छिंदवाड़ा के सभी निवासियों से अनुरोध करते हैं कि वे इस अनूठे आयोजन में अपनी उपस्थिति दर्ज कराएं और भारतीय शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध विरासत का हिस्सा बनें।”
महोत्सव का महत्व
कला संगम शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत महोत्सव छिंदवाड़ा में सांस्कृतिक जागरूकता और शास्त्रीय कलाओं के प्रति रुचि बढ़ाने का एक महत्वपूर्ण मंच है। यह आयोजन न केवल स्थानीय कलाकारों को प्रोत्साहन देता है, बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर के कलाकारों को एक मंच प्रदान करता है। भरतनाट्यम, कथक, और विलासिनी नाट्यम जैसी नृत्य विधाएं भारतीय संस्कृति की गहरी जड़ों को दर्शाती हैं, और इस महोत्सव के माध्यम से दर्शकों को इनके सौंदर्य और तकनीकी उत्कृष्टता का अनुभव होगा।
सामुदायिक सहभागिता की अपील
आयोजकों ने छिंदवाड़ा के कला प्रेमियों, छात्रों, और आम नागरिकों से इस महोत्सव में सक्रिय रूप से भाग लेने की अपील की है। श्री डोले ने कहा, “यह आयोजन हमारी सांस्कृतिक धरोहर को जीवंत रखने का एक अवसर है। आप सभी की उपस्थिति और सहयोग से हम इस महोत्सव को और अधिक सफल बना सकते हैं।”
इसे भी पढ़ें: सफल लोगों की 10 सबसे अच्छी आदतें?
कला संगम शास्त्रीय नृत्य एवं संगीत महोत्सव 2025 छिंदवाड़ा के सांस्कृतिक परिदृश्य में एक महत्वपूर्ण आयोजन है, जो शास्त्रीय नृत्य की समृद्ध परंपरा को दर्शकों तक पहुंचाएगा। राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय कलाकारों की प्रस्तुतियां, दिग्गज हस्तियों का सम्मान, और स्थानीय कलाकारों की भागीदारी इस महोत्सव को एक अविस्मरणीय अनुभव बनाएगी। यह आयोजन न केवल कला प्रेमियों के लिए, बल्कि छिंदवाड़ा के समस्त निवासियों के लिए गर्व का विषय है।