अतुल्य भारत चेतना
प्रमोद कश्यप
रतनपुर। सत्य और न्याय के लिए अपना सर्वस्व न्यौछावर करने वाले महाप्रतापी राजाओं की प्राचीन राजधानी चारों युगों की पौराणिक नगरी रतनपुर के साथ आज न जाने क्यों न्याय नहीं हो रहा। कोई कहते सती का श्राप इसे तो कोई अभिशाप इसे। क्या है समझ नहीं आता।
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नगर विकास के मुद्दों को लेकर या किसी स्वशासी अथवा सरकारी संस्थाओ के गलत नीतियों के विरुद्ध आवाज बुलंद करने यहां समय समय में कई समितियां अथवा मंच बनी पर बरसाती मेंढक की तरह वे लुप्त होते गये। कुछ दिनो पूर्व की ही बात है यहां जगत प्रसिद्ध मां महामाया मंदिर के कुंड में दो दर्जन के लगभग मृत कछुआ पाये गये थे सोशल मीडिया एवं अखबारो मे ये खबर सुर्खियां बटोर रही थी इस बीच आनन फानन में यहां नगर के कुछ अति न्याय प्रिय व्यक्तियों ने कछुआ प्रकरण को लेकर रतनपुर न्याय मंच का गठन किया।
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इनके नेतृत्व में नगर बंद का भी आह्वान किया गया जो पूर्णतः सफल भी रहा मगर इस प्रकरण में न्याय मंच को न्याय नहीं मिल सका। इससे न्याय मंच मन मसोस कर रह गया। इस मुद्दे को यहीं खत्म करने पर भलाई समझी गई। इस मुद्दे के बाद भी यहां और कई मुद्दे हैं जिसमें नगर को न्याय चाहिए। क्या रतनपुर न्याय मंच महामाया मंदिर ट्रस्ट से जुड़े कछुआ प्रकरण के लिए ही बनी थी। नगर में लोगों के बीच इस तरह के प्रश्न है । नगर में बहुत सारे मुद्दे है जिस पर रतनपुर न्याय मंच को काम करना चाहिए। मंच को मजबूती देने सामाजिक क्षेत्र में काम करने वाले नगर के और भी ईक्षुक व्यक्तियो को न्याय मंच मे शामिल किया जा सकता है।