अतुल्य भारत चेतना
रईस
रूपईडीहा/बहराइच। श्रीराम जानकी मंदिर प्रांगण में ब्राम्हण समाज के द्वारा भगवान परशुराम जयंती के अवसर पर विभिन्न धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए गए। बुधवार की सुबह 10 बजे से हवन प्रारम्भ हुआ। हवन के पश्चात भगवान परशुराम की आरती की गयी। उपस्थित लोगों को सम्बोधित करते हुए आचार्य दयाशंकर शुक्ल ने कहा कि ब्राहम्ण को अपने संस्कार नही भूलने चाहिए। यज्ञोपवीत व तिलक हमारे संस्कारों की पहचान है। इसलिए प्रारम्भ से ही ब्राहम्ण बच्चों को यज्ञोपवीत का महत्व बताना चाहिए। उन्होने कहा कि भगवान परशुराम, महर्षि जमदग्नि व माता रेणुका की संतान थे। शास्त्रों के अनुसार उन्होने भीष्म, द्रोणाचार्य व कर्ण को शस्त्र विद्या सिखाई थी। वे शास्त्र व शस्त्र विद्याओं में पूर्ण पारंगत थे। सभा को कई लोगों ने संबोधित किया। महंत भगवान दास ने सभी को आशीर्वाद दिया। इस अवसर पर आचार्य राजेश पाण्डेय, विवेक शुक्ल, भीष्म त्रिपाठी, भीमसेन मिश्रा ,श्याम कुमार मिश्रा, राधेश मिश्र, धनंजय मिश्र, डा. सनत कुमार शर्मा, राम शरण मिश्र, वेद प्रकाश त्रिपाठी, गोपाल त्रिपाठी,बलराम शुक्ल, रिंकू अवस्थी, बलराम मिश्र, मोहित शुक्ल, वेद प्रकाश त्रिपाठी व दिवाकर पाठक सहित भारी संख्या में ब्राहम्ण समाज के लोग मौजूद रहे। सभी को अंग वस्त्र उढ़ा कर सम्मानित किया गया व भव्य भंडारे का आयोजन भी किया गया।