पहलगाम आतंकी हमला 22 अप्रैल 2025 को जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग जिले में पहलगाम के नजदीक बैसरन घाटी में हुआ। यह हमला जम्मू-कश्मीर में धारा 370 के निरस्तीकरण (2019) के बाद सबसे घातक आतंकी हमलों में से एक माना जा रहा है। इस हमले में 26 पर्यटकों की मौत हुई, जिनमें 25 भारतीय और एक नेपाली नागरिक शामिल थे, जबकि 20 से अधिक लोग घायल हुए। हमले का उद्देश्य कश्मीर घाटी में “जनसांख्यिकीय परिवर्तनों का विरोध” करना बताया गया, और इसे हिंदू पर्यटकों को निशाना बनाकर अंजाम दिया गया।
हमले का विवरण
- स्थान: बैसरन घाटी, पहलगाम, जो एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल है। यह क्षेत्र अमरनाथ यात्रा के लिए भी महत्वपूर्ण है, लेकिन सामान्यतः जून तक पर्यटकों के लिए बंद रहता है।
- तारीख और समय: 22 अप्रैल 2025, दिन में।
- हमलावर: पांच सशस्त्र आतंकवादी, जिनमें से दो पाकिस्तानी नागरिक (हाशिम मूसा उर्फ सुलेमान और अली भाई उर्फ तल्हा भाई) और एक स्थानीय निवासी (अब्दुल हुसैन थोकर) शामिल थे। ये सभी लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे।
- हमले का तरीका:
- आतंकवादियों ने पर्यटकों से उनके नाम और धर्म पूछे। कुछ पीड़ितों को कथित तौर पर कलमा पढ़ने के लिए कहा गया।
- अधिकांश पुरुषों को नजदीक से गोली मारी गई। एक आतंकी ने एक महिला को यह कहकर छोड़ दिया कि वह “प्रधानमंत्री मोदी को इस भयावह घटना के बारे में बताए।”
- आतंकियों ने नरसंहार को रिकॉर्ड करने के लिए बॉडी कैमरे का उपयोग किया, जो लश्कर-ए-तैयबा की प्रचार रणनीति का हिस्सा है।
- जिम्मेदारी: शुरुआत में द रेसिस्टेंस फ्रंट (TRF), जो लश्कर-ए-तैयबा का छद्म संगठन है, ने हमले की जिम्मेदारी ली, लेकिन चार दिन बाद इसे वापस ले लिया।
- स्थानीय नायक: कश्मीरी शिया मुस्लिम सैयद आदिल हुसैन शाह ने आतंकियों से राइफल छीनकर पर्यटकों को बचाने की कोशिश की, लेकिन इस प्रयास में उनकी मौत हो गई।
सुरक्षा चूक
- बैसरन घाटी को 20 अप्रैल 2025 को पर्यटकों के लिए खोल दिया गया था, जबकि यह क्षेत्र सामान्यतः जून तक बंद रहता है। यह निर्णय स्थानीय प्रश Hawkins टूर ऑपरेटर्स ने बिना सुरक्षा एजेंसियों को सूचित किए पर्यटकों की बुकिंग शुरू कर दी थी, जिसके कारण वहां कोई सुरक्षा बल तैनात नहीं थे।
- हमले के समय केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) या अन्य सुरक्षा बलों की अनुपस्थिति ने सवाल खड़े किए। घटनास्थल तक पहुंचने में 45 मिनट की कठिन चढ़ाई के कारण आपातकालीन सेवाओं को देरी हुई।
- सरकार ने इस सुरक्षा चूक की जिम्मेदारी स्वीकारी और जांच शुरू की।
तत्काल प्रतिक्रिया
- बचाव और चिकित्सा सहायता: हमले के बाद आपातकालीन सेवाएं तुरंत घटनास्थल पर पहुंची। गंभीर रूप से घायल लोगों को अनंतनाग जिला अस्पताल और श्रीनगर के सैन्य अस्पताल में हेलीकॉप्टर से ले जाया गया।
- सुरक्षा अभियान: सेना, अर्धसैनिक बल, और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संयुक्त तलाशी अभियान शुरू किया। पहलगाम में अस्थायी नाकाबंदी लगाई गई और आतंकियों का पता लगाने के लिए हेलीकॉप्टर तैनात किए गए।
- संदिग्धों की तलाश: पुलिस ने तीन संदिग्धों के स्केच जारी किए और उनकी गिरफ्तारी के लिए 20 लाख रुपये के इनाम की घोषणा की।
सामाजिक और राजनीतिक प्रभाव
- जनता का गुस्सा: पूरे देश में हमले के खिलाफ गुस्सा और शोक का माहौल रहा। कश्मीर में 35 साल में पहली बार पूर्ण बंद रहा, लोग सड़कों पर उतरे, और पाकिस्तानी झंडे जलाए गए।
- निंदा: राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, और जम्मू-कश्मीर के मुख्यमंत्री उमर अब्दुल्ला सहित कई नेताओं ने हमले की कड़ी निंदा की।
- पर्यटन पर प्रभाव: हमले के बाद पर्यटकों की संख्या में कमी आई, और एयर इंडिया ने अतिरिक्त उड़ानें संचालित कीं।
- मुस्लिम समुदाय की प्रतिक्रिया: ऑल इंडिया मुस्लिम पर्सनल लॉ बोर्ड ने हमले की निंदा की और तीन दिन के लिए अपने विरोध प्रदर्शन स्थगित किए।
भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदम
भारत सरकार ने पहलगाम हमले को सीमा पार आतंकवाद का प्रमाण मानते हुए पाकिस्तान के खिलाफ कड़े कूटनीतिक, रणनीतिक, और सैन्य कदम उठाए। नीचे इन कदमों का विस्तृत विवरण दिया गया है:
1. कूटनीतिक कदम
- सिंधु जल समझौता निलंबित: भारत ने 1960 के सिंधु जल समझौते को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया, जब तक कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को समर्थन बंद न करे। यह कदम प्रतीकात्मक और रणनीतिक संदेश देने के लिए उठाया गया, हालांकि भारत की भंडारण क्षमता सीमित होने के कारण इसका तत्काल प्रभाव कम हो सकता है।
- पाकिस्तानी राजनयिकों का निष्कासन:
- वीजा और सीमा बंद:
- अंतरराष्ट्रीय समुदाय को जानकारी:
2. सैन्य और सुरक्षा कदम
- उच्च-स्तरीय बैठकें:
- सीसीएस बैठक: हमले के बाद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में सुरक्षा मामलों की कैबिनेट समिति (CCS) की आपात बैठक हुई, जिसमें रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह, और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल शामिल थे। बैठक में जवाबी कार्रवाई के सभी विकल्पों (थल, जल, वायु) पर चर्चा हुई।
- सेना प्रमुखों की बैठक: रक्षा मंत्री ने तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ 150 मिनट की हाई-लेवल मीटिंग की।
- सैन्य अभ्यास:
- आतंकी ठिकानों पर कार्रवाई:
- PoK पर नजर: भारतीय सेना ने पाकिस्तान अधिकृत कश्मीर (PoK) में आतंकी लॉन्च पैड्स पर निगरानी बढ़ा दी।
3. सर्वदलीय बैठक
- 23 अप्रैल 2025 को बैठक: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में संसद परिसर में दो घंटे की सर्वदलीय बैठक हुई, जिसमें गृह मंत्री अमित शाह, विदेश मंत्री एस. जयशंकर, और IB/RAW के अधिकारी शामिल थे।
- विपक्ष का समर्थन:
- सुरक्षा चूक की स्वीकृति: सरकार ने बैसरन घाटी में सुरक्षा व्यवस्था की कमी को स्वीकार किया और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए मानक संचालन प्रक्रियाओं (SOP) को सख्त करने का आश्वासन दिया।
4. प्रधानमंत्री की सक्रियता
- विदेश दौरा रद्द: प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब का दौरा बीच में छोड़कर दिल्ली लौटने का फैसला किया। एयरपोर्ट पर ही उन्होंने उच्च-स्तरीय बैठक की।
- कड़ा संदेश: मोदी ने कहा कि दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा और भारत आतंकवाद से भयभीत नहीं होगा।
5. अंतरराष्ट्रीय समर्थन
- अमेरिका: नेशनल इंटेलिजेंस डायरेक्टर तुलसी गबार्ड ने हमले की निंदा की और भारत के साथ एकजुटता व्यक्त की।
- अमेरिकी संसद: विदेश मामलों की समिति ने न्यूयॉर्क टाइम्स की आलोचना की, जिसने आतंकियों को “मिलिटेंट्स” कहा, और इसे “आतंकी हमला” करार दिया।
विश्लेषण और भविष्य की रणनीति
- पाकिस्तान पर दबाव: भारत के कदमों से पाकिस्तान में खलबली मच गई। पाकिस्तान ने राष्ट्रीय सुरक्षा समिति की आपात बैठक बुलाई, और उसके रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने जवाबी कार्रवाई की धमकी दी।
- सैन्य कार्रवाई की संभावना: रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बयान और वायुसेना के अभ्यास से सर्जिकलAre सर्जिकल स्ट्राइक या एयर स्ट्राइक की संभावना बढ़ रही है।
- सुरक्षा सुधार: सरकार ने कश्मीर में सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने और खुफिया तंत्र को बेहतर करने का वादा किया है।
- राजनीतिक एकता: सर्वदलीय बैठक में सभी दलों की एकजुटता ने राष्ट्रीय सुरक्षा पर एक मजबूत संदेश दिया।
निष्कर्ष
पहलगाम आतंकी हमला 2025 जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की गंभीर चुनौती को उजागर करता है। भारत सरकार ने त्वरित और कड़े कदम उठाकर आतंकवाद के खिलाफ मजबूत इरादा दिखाया है। कूटनीतिक दबाव, सैन्य तैयारियां, और विपक्ष का समर्थन इस बात का संकेत है कि सरकार इस हमले का करारा जवाब देने को तैयार है। हालांकि, सुरक्षा चूक की जांच और भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए ठोस कदम उठाना अभी भी एक बड़ी चुनौती है।