अप्रैल-मई के महीनों में भारत में गर्मी का मौसम होता है, इसलिए इस दौरान ऐसी सब्जियों की खेती करना लाभदायक होता है जो गर्मी सहन कर सकें और कम समय में अच्छी पैदावार दे सकें। नीचे कुछ सब्जियों के नाम, उनकी खेती का तरीका और महत्वपूर्ण जानकारी दी जा रही है:
1. भिंडी (Okra)
- लाभ: भिंडी गर्मी में अच्छी तरह बढ़ती है और बाजार में इसकी मांग हमेशा रहती है।
- खेती का तरीका:
- जमीन की तैयारी: अच्छी जल निकासी वाली बलुई दोमट मिट्टी उपयुक्त होती है। खेत को जुताई कर जैविक खाद (10-15 टन/हेक्टेयर) मिलाएं।
- बीज की बुआई: अप्रैल के पहले सप्ताह से मई तक। 2-3 सेमी गहराई पर बीज बोएं। पंक्तियों के बीच 45-60 सेमी और पौधों के बीच 30 सेमी की दूरी रखें।
- सिंचाई: 4-5 दिन के अंतराल पर पानी दें। अधिक पानी से बचें।
- उर्वरक: 100 किलो नाइट्रोजन, 50 किलो फॉस्फोरस और 50 किलो पोटाश प्रति हेक्टेयर।
- कटाई: 45-50 दिनों में फल तैयार हो जाते हैं।
- महत्वपूर्ण टिप: कीटों (जैसे फल छेदक) से बचाव के लिए नीम का तेल या जैविक कीटनाशक का उपयोग करें।
2. लौकी (Bottle Gourd)
- लाभ: कम लागत में अच्छी पैदावार और गर्मी में मांग अधिक।
- खेती का तरीका:
- जमीन की तैयारी: दोमट या रेतीली मिट्टी जिसमें कार्बनिक पदार्थ हों। खेत में गोबर की खाद डालें।
- बीज की बुआई: अप्रैल-मई में 2-3 बीज प्रति गड्ढा, 2-3 मीटर की दूरी पर बोएं।
- सिंचाई: सप्ताह में 2 बार, ड्रिप इरिगेशन बेहतर।
- उर्वरक: 20-25 टन गोबर खाद और NPK (नाइट्रोजन, फॉस्फोरस, पोटाश) 100:50:50 किलो/हेक्टेयर।
- मचान: लताओं को सहारा देने के लिए मचान बनाएं।
- कटाई: 50-60 दिनों में फल तैयार।
- महत्वपूर्ण टिप: फफूंद रोग से बचाव के लिए बीज को बोने से पहले बाविस्टिन से उपचारित करें।
3. करेला (Bitter Gourd)
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- लाभ: औषधीय गुणों के कारण मांग अधिक, कीमत अच्छी मिलती है।
- खेती का तरीका:
- जमीन की तैयारी: अच्छी जल निकासी वाली मिट्टी, 10-12 टन गोबर खाद/हेक्टेयर।
- बीज की बुआई: अप्रैल में शुरू करें। 2-3 मीटर की दूरी पर गड्ढों में 2-3 बीज बोएं।
- सिंचाई: 5-7 दिन के अंतराल पर।
- उर्वरक: 80-100 किलो नाइट्रोजन, 40-50 किलो फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर।
- मचान: लताओं के लिए मचान जरूरी।
- कटाई: 55-60 दिनों में शुरू।
- महत्वपूर्ण टिप: फल मक्खी से बचाव के लिए फेरोमोन ट्रैप का उपयोग करें।
4. खीरा (Cucumber)
- लाभ: गर्मी में ताजगी के लिए मांग बढ़ती है, जल्दी तैयार।
- खेती का तरीका:
- जमीन की तैयारी: हल्की दोमट मिट्टी, 8-10 टन गोबर खाद मिलाएं।
- बीज की बुआई: अप्रैल-मई में, 1-2 सेमी गहराई पर, पंक्तियों में 60 सेमी की दूरी।
- सिंचाई: 3-4 दिन के अंतराल पर।
- उर्वरक: 80 किलो नाइट्रोजन, 40 किलो फॉस्फोरस प्रति हेक्टेयर।
- कटाई: 40-45 दिनों में।
- महत्वपूर्ण टिप: पाउडरी मिल्ड्यू रोग से बचाव के लिए सल्फर-आधारित फफूंदनाशक का छिड़काव करें।
5. बैंगन (Brinjal)
- लाभ: साल भर मांग, गर्मी में भी अच्छी पैदावार।
- खेती का तरीका:
- जमीन की तैयारी: उपजाऊ दोमट मिट्टी, 10-15 टन गोबर खाद।
- बीज की बुआई: नर्सरी में बीज बोकर 25-30 दिन बाद पौध रोपें। पौधों के बीच 60 सेमी दूरी।
- सिंचाई: 5-7 दिन के अंतराल पर।
- उर्वरक: 120 किलो नाइट्रोजन, 60 किलो फॉस्फोरस, 60 किलो पोटाश/हेक्टेयर।
- कटाई: 60-70 दिनों में फल तैयार।
- महत्वपूर्ण टिप: फल छेदक कीट से बचाव के लिए नीम तेल का प्रयोग करें।
सामान्य सुझाव:
- बीज की गुणवत्ता: प्रमाणित और रोगमुक्त बीज चुनें।
- मौसम का ध्यान: अप्रैल-मई में तापमान 25-35°C के बीच रहता है, जो इन फसलों के लिए उपयुक्त है।
- बाजार विश्लेषण: स्थानीय मांग के अनुसार फसल चुनें ताकि अधिक मुनाफा हो।
- जैविक खेती: रासायनिक उर्वरकों के साथ-साथ जैविक खाद का प्रयोग करें ताकि मिट्टी की उर्वरता बनी रहे।
इन सब्जियों की खेती से कम लागत में अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है, बशर्ते सही समय पर देखभाल और सिंचाई की जाए।