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गुरु घासी दास जयंती समारोह संपन्न

By News Desk Dec 24, 2024
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अतुल्य भारत चेतना
शिवशंकर जायसवाल

कटघोरा/कोरबा। सत्य विकास समिति द्वारा गुरु घासी दास जयंती समारोह 22 दिसम्बर 2024 दिन रविवार मीना बाजार मैदान में साय 7 बजे संपन्न हुआ।
कार्यक्रम के मुख्य अभ्यागत के रूप में एसडीम पौड़ी उपरोड़ा तुलाराम भारद्वाज ,अध्यक्ष एच  आर निराला, विशिष्ट अतिथि के रूप में के के लहरें* तहसीलदार , मनहरण अनंत,  पवन अग्रवाल, आत्म नारायण  पटेल , मुरली साहू, टकेश्वर जायसवाल , मिहिर सिन्हा वकील , डी .एल.भारद्वाज, निराला, अजय
धनोंदिया मच पर उपस्थित रहे। मंच  सभी उपस्थित सभी
अभ्यागतो द्वारा गुरु घासी दास की  प्रतिमा पर फूल माला अर्पित कर दीप प्रज्वलित किया गया। देउर माल एवं तुमान के पंथी नृत्य ने लोगो को बांध रखा था। जो कि काफी रोचक रहा। छोटे छोटे बच्चों द्वारा भी पंथी नृत्य किया गया जो लोगों द्वारा सराहा गया।
मुख्य अभ्यागत महोदय एस डी एम महोदय ने सतनाम समाज की तीन पहचान बताया पहला सफेद झंडा, दूसरा सत्य एवं अहिंसा के मार्ग तीसरा पंथी नृत्य। ये तीनों बाते हमारे आने वाले पीढ़ी को जानना जरूरी है। जो बाबा की  जयंती में याद करते है।
पहले सफेद झंडा शांति का प्रतीक है जिसे लाल नहीं होने देना चाहिए। दूसरा सत्य एवं अहिंसा के मार्ग में चलनी चाहिए हम लोग नहीं चल पा रहे हैं। तीसरे पंथी नृत्य जो कि साल भर में एक दिन करवा देते है।मनोरंजन की दृष्टि से नहीं बल्कि
हमारे समाज की पहचान है। हम लोग 267 साल में क्या किए।
कार्यक्रम के अध्यक्षता कर रहे निराला महोदय जी ने कहा कि बाबा की जयंती का मतलब होता है कि बातों को जन जन तक पहुंचाने का कार्य करना। 18 वीं शताब्दी मे बाबा ने समाज के लिए बहुत कुछ किया। जबकि उस समय उतना अधिक साधन भी नहीं था , जितना आज है। यह संदेश दिया था कि मनखे – मनखे एक समान अर्थात सभी लोगों को सामान अधिकार मिलनी चाहिए।

लहरें तहसीदार ने कहा कि 268 वीं जयंती मना रहे है। हम कितना खोया कितना पाया । अपने विकास की गति बहुत धीमी है।नगण्य है। बाबा जिस समय समाज को जगाया उस समय साधन नहीं था। मनखे मनखे एक समान आज लागू नहीं हो रहा है। आज पालन नहीं कर रहे है। बाबा की जो शिक्षा है उनका करना है। संघर्ष करना है अपने अधिकार के लिए संगठित भी रहना है। परिवर्तन प्रकृति का नियम है।
मनहरण अनंत ने कहा कि आदमी आदमी एक समान के बारे में कहा कि सभी लोगों की जाती न होता बल्कि सभी लोग आदमी होते।
पंथी नृत्य एवं बच्चों का नृत्य बहुत अच्छा रहा।
अध्यक्ष रामविलास कुर्रे, सचिव एस एन शिव, उपाध्यक्ष छवि लहरें, जीवन मिरि, सी आर खूंटे, के एल डहरिया, संतोष कुर्रे, हरि दिवाकर, अरुण पाल ओगे, देवेंद्र काटले,आर एल भारद्वाज, डी एल भारद्वाज, एच आर निराला, बी एल कुर्रे, परस राम कुर्रे, अधीन लाल कुर्रे, लता शिव, श्रीमती निराला, सुनीता दिवाकर अम्बा कुर्रे, केशर कुर्रे, सुनीता काटले, का सराहनीय योगदान रहा। कार्यक्रम का संचालन एस एन शिव एवं आभार रामविलास कुर्रे ने किया।

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