ब्रह्माकुमारीज ने किया शांति और सद्भावना का आह्वान, मेडिटेशन का दिया संदेश
मेडिटेशन मन को स्वस्थ रखने की विधि है : बीके भ्राता मोहन सिंघल
अतुल्य भारत चेतना
संवाददाता
लखनऊ। ब्रह्माकुमारी संस्थान द्वारा शनिवार को पहला विश्व ध्यान दिवस से मनाया गया। विश्वभर के 140 देशों में स्थित 6 हजार से अधिक सेवा केंद्रों पर 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस एक साथ मनाया गया।
इस अवसर पर बीके भाई-बहनों ने राजयोग मेडिटेशन के माध्यम से विश्व को शांति, सद्भावना और एकता के शुभ विचार (बाइव्रेशन) प्रदान किए। इसी क्रम में ब्रह्माकुमारीज केन्द्र गोमती नगर द्वारा दिनांक 21 दिसम्बर 2024 दिन शनिवार को वर्ल्ड मेडिटेशन डे के उपलक्ष्य में सभी राजयोग पुरुषार्थियों द्वारा राजयोग मेडिटेशन का अभ्यास करके विश्व को मेडिटेशन करने का संदेश दिया गया। ज्ञातव्य हो कि यूनाइटेड नेशंस द्वारा 21 दिसंबर को वर्ल्ड मेडिटेशन डे घोषित किया गया है और इस बार प्रथम वर्ल्ड मेडिटेशन डे संपूर्ण विश्व में मनाया जा रहा है। ब्रह्माकुमारीज़ मुख्यालय मधुबन, माउंट आबू से आए भ्राता मोहन सिंघल भाई ने गोमती नगर केंद्र पर मेडिटेशन और योग में अंतर स्पष्ट करते हुए बताया कि योग, शरीर को स्वस्थ रखने के लिए उपयोगी होता है क्योंकि उसमें शारीरिक आसनों द्वारा शरीर को स्वस्थ और चुस्त दुरुस्त रखा जाता है जबकि मन के स्वास्थ्य के लिए, मन की एक्सरसाइज करने के लिए मेडिटेशन आवश्यक है। आजकल बढ़ते हुए मानसिक रोगों और कई शारीरिक बीमारियों का स्रोत भी मन की अस्वस्थता में ही होता है। यदि मन स्वस्थ रहेगा तो शरीर तो आप ही स्वस्थ हो जाता है। मेडिटेशन मन को स्वस्थ रखने की विधि है। ब्रह्माकुमारीज द्वारा लगभग एक शताब्दी से, इसके पूरे विश्व में फैले केंद्रों द्वारा निःशुल्क राजयोग मेडिटेशन सिखाया जा रहा है। अब तो यूनाइटेड नेशंस द्वारा भी मेडिटेशन का महत्व जानकर, वर्ल्ड मेडिटेशन डे घोषित कर देने से आम लोगों में भी मेडिटेशन की प्रति जागरूकता बढ़ेगी। तो आइए, इस फर्स्ट वर्ल्ड मेडिटेशन डे के उपलक्ष्य में हम सब, राजयोग सीखकर अपने मन को और मन के द्वारा तन को भी स्वस्थ रखने का संकल्प करें। यह हम सबके लिए खुशी, आनंद और उत्सव का दिवस है कि संयुक्त राष्ट्र संघ ने मेडिटेशन के महत्व को समझते हुए 21 दिसंबर को विश्व ध्यान दिवस मनाने की घोषणा की है। मेडिटेशन ही परम औषधि और ऊर्जा है। ध्यान दिवस को लागू करने के लिए विश्वभर की संस्थाओं के अतिरिक्त खासकर भारत देश ने सबसे अहम भूमिका के रूप में प्रस्ताव रखा। इसमें मेडिटेशन दिवस मनाने को लेकर अहम भूमिका निभाई प्रस्ताव रखा।



राजयोग ध्यान, जैसा कि ब्रह्मा कुमारियों द्वारा सिखाया जाता है, अपनी सरलता और गहराई के लिए अलग है। इसमें शारीरिक आसन या अनुष्ठान शामिल नहीं हैं, बल्कि विचारों और दृष्टिकोणों को बदलने पर ध्यान केंद्रित किया जाता है। इसके मूल में, यह स्वयं को एक आत्मा के रूप में पहचानने के बारे में है, जो भौतिक शरीर से अलग है, और परमात्मा (शिव बाबा) के साथ सीधा संबंध विकसित करता है।
21 दिसंबर सिर्फ़ एक तारीख़ नहीं है; यह कार्रवाई का आह्वान है – रुकने, भीतर की ओर मुड़ने और अपने भीतर के प्रकाश को फिर से खोजने का समय। ध्यान का अभ्यास करके, चाहे व्यक्तिगत रूप से या सामूहिक रूप से, हम अपने जीवन को बदल सकते हैं और एक ज़्यादा शांतिपूर्ण और दयालु दुनिया बनाने में योगदान दे सकते हैं।
इस विश्व ध्यान दिवस पर, दैनिक जीवन के शोर को शांत करने, आंतरिक शांति को अपनाने और प्रेम और सद्भाव के स्पंदन को बाहर भेजने के लिए कुछ समय निकालें। जैसा कि ब्रह्माकुमारीज सिखाती हैं, सच्ची शांति स्वयं से शुरू होती है, जो सभी के लिए एक बेहतर दुनिया बनाने के लिए बाहर की ओर फैलती है।