अतुल्य भारत चेतना
उमेश शेंडे
बालाघाट। बाघाटोला के भगवान गणेश की पूजा करने के बाद मूर्ति को नृ्त्य गायन करके धूमधाम से जुलूस निकला, श्री गणेश स्थापना व विसर्जन की परंपरा धर्म ग्रंथों के अनुसार महर्षि वेद व्यास ने महाभारत ग्रंथ की रचना करने का निर्णय लिया और इस दिव्य अनुष्ठान को संपन्न करने के लिए वेदव्यास जी ने गंगा नदी के किनारे एकांत पवित्र स्थल का चुनाव किया। लेखन का कार्य महर्षि के वश का नहीं था। इसलिए उन्होंने इसके लिए भगवान श्री गणेश की आराधना की और उनसे प्रार्थना करी कि वे एक महाकाव्य जैसे महान ग्रंथ को लिखने में उनकी सहायत करें। गणपति जी ने सहमति दी और दिन-रात लेखन कार्य प्रारम्भ हुआ।
इसके लिए महर्षि वेद व्यास ने गणेश चतुर्थी वाले दिन से ही भगवान गणेश को लगातार 10 दिन तक महाभारत की कथा सुनाई थी जिसे श्री गणेश जी ने अक्षरशः लिखा था। महर्षि वेद व्यास जी ने भाद्रपद शुक्ल चतुर्थी के दिन भगवान गणेश की पूजा की और लेखन का शुभ कार्य आरंभ कर दिया।


महाकाव्य कहे जाने वाले महाभारत ग्रंथ का लेखन कार्य लगातार 10 दिनों तक चला और अनंत चतुर्दशी के दिन यह लेखन कार्य संपन्न हुआ। लेकिन जब कथा पूरी होने के बाद महर्षि वेदव्यास ने आंखें खोली तो देखा कि इस दिव्य काव्य के तेज व अत्याधिक मेहनत करने के कारण गणेश जी के शरीर का तापमान बढ़ा हुआ है। ऐसे में गणेश जी के शरीर का तापमान कम करने के लिए महर्षि वेदव्यास जी ने गंगा नदी में गणेश जी स्नान करवाया। अनंत चर्तुदशी के दिन गणेश जी के तेज को शांत करने के लिए गंगा नदी में स्नान कराया गया था, इसीलिए इस दिन गणेश प्रतिमा का विसर्जन करने का चलन भी शुरू हुआ।