


अतुल्य भारत चेतना
संवाददाता
कुलपति और विश्वविद्यालय प्रशासन के साथ शोधार्थियों की बैठकें रही बेनतीजा
शोधार्थियों के साथ कमेटी-कमेटी का खेल खेला जा रहा है
18वीं एकेडमिक काउंसिल की मिनट्स के साथ की गयी छेड़छाड़
सोनीपत। दीनबन्धु छोटू राम यूनिवर्सिटी ऑफ़ साइंस एण्ड टेक्नोलॉजी के शोधार्थी पिछले 27 दिन से दिन-रात के अनिश्चितकालीन धरने और 5 दिनों से क्रमिक अनशन पर बैठे हुए हैं। शोधार्थियों की जायज माँगों को पूरी करने की बजाय उनके साथ विश्वविद्यालय प्रशासन कमेटी-कमेटी का खेल खेल रहा है। विश्वविद्यालय कुलपति और प्रशासन के साथ कई दौर की बैठकें हो चुकी हैं। इन बैठकों में कुछ माँगों पर सहमति बनी थी परन्तु अभी तक प्रशासन की तरफ़ से लिखित में कुछ भी नहीं दिया गया है शोधार्थियों ने शिक्षा मन्त्री सीमा त्रिखा और राज्यपाल के सलाहकार बी.ए भानुशंकर से भी मुलाक़ात की है। ईमेलों के ज़रिये सीएमओ, पीएमओ, यूजीसी, एआईसीटीई हर जगह अपनी बात पहुँचा चुके हैं परन्तु अभी तक उनकी माँगों का कोई समाधान नहीं निकला है।शोधार्थियों का आरोप है कि 18वीं एकेडमिक काउंसिल की मिनट्स के साथ छेड़छाड़ की गई थी। शोधार्थियों की मुख्य माँग यह है कि पीएचडी ऑर्डिनेंस के 11.6 क्लोज में 15वीं अकादमिक काउंसिल की मीटिंग में किये गये अमेंडमेंट को वापिस लिया जाये। इस मुद्दे पर 18वीं अकादमिक काउंसिल की मीटिंग में काफ़ी विस्तार से बात हुई और उपस्थित 33 में से 22 सदस्यों ने इसे हटाने पर सहमति जताई। लेकिन फाइनल मिनट्स में इस मुद्दे को हटा दिया गया था। जिसके खिलाफ़ अकादमिक काउंसिल के ही सदस्यों ने बाकायदा ईमेल करके आपत्ति जताई थी लेकिन उनकी आपत्ति को दरकिनार कर दिया गया। इससे पहले भी अलग-अलग विभागों के चेयरपर्सन और विश्वविद्यालय के रिसर्च डायरेक्टर ने विश्वविद्यालय कुलपति से 11.6 क्लोज में किये गये संशोधन को वापिस लेने की माँग की थी। जिसे विश्वविद्यालय कुलपति ने इनकार कर दिया था।विश्वविद्यालय के कुलपति के साथ हुई मीटिंग में शोधार्थियों ने इस मुद्दे को रखा था। इस पर विश्वविद्यालय कुलपति ने सफेद झूठ बोलते हुए पहले कहा कि इस मुद्दे पर कोई बातचीत ही नहीं हुई थी, बाद में कहा कि इस पर कोई सहमति नहीं बनी थी। शोधार्थियों ने अपनी बात के समर्थन में 18वीं अकादमिक काउंसिल के 22 सदस्यों के सिग्नेचर किये हुये डॉक्यूमेंट को कुलपति के सामने प्रूफ के तौर पर पेश किया और साथ ही कहा कि इस मीटिंग की वीडियो रिकॉर्डिंग भी की गई थी। आप मीटिंग की वीडियो रिकॉर्डिंग को हमें मुहैया करवा दीजिये। यदि हमारी बात गलत साबित होती है तो हम तुरन्त धरने को ख़त्म कर देंगें। इस पर विश्वविद्यालय कुलपति ने कोई प्रतिक्रिया नहीं दी विश्वविद्यालय प्रशासन से कई दौर की बातचीत हो चुकी है हर बार शोधार्थियों से यही कहा गया है कि उनकी यह माँग जायज है पर उसे अकादमिक काउंसिल की अगली मीटिंग में उठाया जायेगा। शोधार्थियों का इस पर कहना है कि जब यह माँग पिछली मीटिंग में पास हो गई थी तो दोबारा इसे अगली मीटिंग में लेकर जाने की जरुरत ही क्या है? इस सवाल का कोई जवाब विश्वविद्यालय प्रशासन के पास नहीं है।हॉस्टल सम्बन्धित ज्यादातर माँगों पर सहमति बनी है परन्तु विश्वविद्यालय प्रशासन ने लिखित में अभी तक कोई नोटिस नहीं निकाला है। चीफ वार्डन को बर्खास्त करने की माँग को नहीं माना गया है। उपकरणों की कमी को पूरा करने सम्बन्धित माँगों पर भी कोई ठोस जवाब नहीं दिया गया है। शोधार्थियों का कहना है कि 7 अगस्त बुधवार को वो सभी छात्र सभा करेंगे और वाइस चांसलर के विरोध में काला रिबन बांधकर मोर्चा निकालेंगे । शोधार्थियों का कहना है कि जब तक उनकी माँगें पूरी नहीं हो जाती तब तक धरना जारी रहेगा।
शोधार्थियों की माँगे
पीएचडी जमा करने के लिए वेब ऑफ़ साइंस में प्रकाशित शोध की अनिवार्य शर्त को ख़त्म किया जाये
अवैध नियुक्त चीफ वार्डन को हटाकर नए चीफ वार्डन की नियुक्ति की जाये कार्यकाल पूरा कर चुके सभी हॉस्टल वार्डनों को हटाकर नई नियुक्ति की जाये और हॉस्टल छात्र फंड के दुरुपयोग करने वाले वार्डन और चीफ वार्डन के खिलाफ जांच की जाये। केंद्रीय उपकरण प्रयोगशाला सेंट्रल इंस्ट्रुमेंटेशन लैबोरेट्री में ज़्यादातर उपकरण ख़राब पड़े हैं और विभागों में भी ऐसी ही स्थिति है। इस समस्या का तुरन्त समाधान किया जाये। शोधार्थियों लड़कियों के हॉस्टल की समय सीमा 7 बजे से बढ़ाकर 8:30 बजे की जाये स्कालरशिप को समयबद्ध तरीके से जारी किया जाये। सभी शोधार्थियों को नॉन-नेटफ़ेलोशिप दी जाये। विद्यार्थियों की मांगें BA पांचवें और नौवें सैमेस्टर के पास क्लास रूम ही नहीं है। क्लासरूम अलाट किया जाए।कक्षाओं में पंखे और बेंच नहीं हैं। उपलब्ध करवायें जायें। पीने के पानी की सुविधा की जाये। दो तलों पर वाशरूम की सुविधा दी जाए। पुस्तकालय में मानविकी विभाग के सिलेबस की किताबें भी उपलब्ध करवाई जाए सरस्वती लाइब्रेरी बिल्डिंग के दूसरे तल पर भी सफाई की जाये अन्य समस्याएं विश्वविद्यालय में वाई-फाई ना होना हॉस्टल में लाइट जाने पर बैकअप ना होना हॉस्टलों की जर्जर बिल्डिंग विश्वविद्यालय परिसर में जो भी कैंटीन है उनके मनचाहे रेट अस्पताल में दवाई ना मिलना। एंबुलेंस की फैसिलिटी ना होना प्रॉपर ड्रेनेज की फैसिलिटी ना होना टूटी सड़कों की मरम्मत करवाना बाकी विश्वविद्यालय के मुकाबले ज्यादा फीस होना लिफ्ट का ना चलना लाइब्रेरी में पर्सनल गैजेट्स को ले जाने पर पाबंदी लैब में मशीन और उपकरणों की कमी बीटेक फाइनल ईयर के बच्चों को री के पेपर के लिए स्पेशल चांस ना मिलना उसके अलावा यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर कर्मचारी भी बहुत दिनों से धरने पर बैठे हुए हैं उन्होंने आज अपनी मांगों को लेकर वाइस चांसलर के तुगलकी फरमानों के विरोध में काले रिबन बांधकर रोष जताया शोधार्थियों ने बताया कि अगर उनकी मांगे पूरी नहीं हुई तो वह अनिश्चिकालीन धरना और क्रमिक भूख हड़ताल को जारी रखेंगे।