
अतुल्य भारत चेतना
वीरेंद्र यादव
सावन के मंगलवार को मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस दिन भगवान शिव और माता पार्वती की पूजा-अर्चना की जाती है। साथ ही मनचाहे वर पाने के लिए व्रत भी किया जाता है। पंचांग के अनुसार, तीसरा मंगला गौरी का व्रत 06 अगस्त को किया जाएगा माना जाता है कि इस दिन विधिपूर्वक उपासना करने से सुहागिन महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन सदैव खुशियों से भरा रहता है। चलिए इस लेख में जानते हैं कि तीसरे मंगला गौरी व्रत का शुभ मुहूर्त और पूजा विधि के बारे में।
तीसरेमंगलागौरीव्रतकाशुभमुहूर्त तीसरा मंगला गौरी व्रत शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि यानी 06 अगस्त को किया जाएगा। पंचांग के अनुसार, शुक्ल पक्ष की द्वितीया पर ब्रह्म मुहूर्त 04 बजकर 21 मिनट से लेकर 05 बजकर 03 मिनट तक रहेगा। वहीं, अभिजित मुहूर्त दोपहर 12 बजे से लेकर से 12 बजकर 53 मिनट तक रहेगा मंगलागौरीव्रतपूजाविधि:-
सावन में मंगला गौरी व्रत किया जाता है। इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें। इसके बाद स्नान कर सूर्य देव को जल अर्पित करें। मंदिर की सफाई कर चौकी पर लाल कपड़ा बिछाकर शिव जी और माता पार्वती की प्रतिमा को विराजमान करें। अभिषेक कर अक्षत, कुमकुम, फूल, फल समेत आदि चीजें अर्पित करें और माता पार्वती को सोलह श्रृंगार की चीजें चढ़ाएं। दीपक जलाकर आरती करें और पति की दीर्घायु के लिए प्रार्थना करें। व्रत कथा का पाठ कर भोग लगाएं और लोगों में प्रसाद का वितरण करें। इस दिन श्रद्धा अनुसार का दान करना भी फलदायी होता है मंगलागौरीव्रतकामहत्व:-
मंगला गौरी व्रत सुहागिन महिलाओं के लिए बेहद खास होता है। यह व्रत पति की लंबी आयु के लिए रखा जाता है। साथ ही वैवाहिक जीवन में चल रही समस्याओं का भी निवारण होता है और अखंड सौभाग्य का आशीर्वाद प्राप्त होता है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार मंगला गौरी का व्रत रखने से व्यक्ति की कुंडली में मंगल दोष दूर होता है। इस दौरान महादेव और मां पार्वती की पूजा एक साथ करने से जीवन में सुख-समृद्धि बनी रहती है। मंगलागौरीव्रतमंत्र:-स्वयंवरपार्वतीमंत्र:ॐ ह्रीं योगिनी योगिनी योगेश्वरी योग भयंकरी सकल स्थावर जंगमस्य मुख हृदयं मम वशं आकर्षय आकर्षय नमः विवाहहेतुमंत्र:ॐ नमः मनोभिलाषितं वरं देहि वरं ह्रीं ॐ गोरा पार्वती देव्यै नमः माता च पार्वती देवी पिता देवो महेश्वर: बान्धवा:शिवभक्ताश्च, स्वदेशो भुवनत्रयम सुखशांतिहेतुमंत्र: मुनि अनुशासन गनपति हि पूजेहु शंभु भवानि। कोउ सुनि संशय करै जनि सुर अनादि जिय जान प्रेमविवाहहेतुमंत्र:- हे गौरी शंकरार्धांगी। यथा त्वं शंकर प्रिया तथा मां कुरु कल्याणी, कान्त कान्तां सुदुर्लभाम् सफलताप्राप्तिहेतुमंत्र:
ऊँ ह्लीं वाग्वादिनी भगवती मम कार्य सिद्धि कुरु कुरु फट् स्वाहा।