


अतुल्य भारत चेतना
दिनेश सिंह तरकर
साहस व वीरता का प्रतीक हैं शहीद बबलू सिंह : कर्नल
मथुरा। जनपद में फरह ब्लॉक के गांव झंडीपुर निवासी सेना मेडल से सम्मानित अमर शहीद बबलू सिंह की 8वीं पुण्यतिथि पर वृहस्पतिवार 1 अगस्त को शहीद के पैतृक गांव स्थित स्मारक पर हवन-पूजन किया गया एवं मथुरा स्थित सेना के स्टेशन हेडक्वार्टर की तरफ से 112 इंजीनियर के जवानों ने गार्ड ऑफ ऑनर दिया साथ ही उत्तर प्रदेश पुलिस की तरफ से भी गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया। शहीद स्मारक पर भारतीय सेना के जवानों ने ब्रज के लाल, सेना मेडल से सम्मानित शहीद बबलू सिंह को भावपूर्ण श्रद्धांजलि दी एवं पुण्यतिथि पर देश भक्ति से ओत-प्रोत कार्यक्रमों में भी सहभागिता की शहीद बबलू सिंह को नमन् करते हुए सेना के अधिकारियों ने बताया कि वर्ष 2005 में बबलू सिंह भारतीय सेना की जाट रेजीमेंट में सिपाही पद पर भर्ती हुए थे, प्रशिक्षण के उपरांत उन्हें 18वीं जाट बटालियन में नियुक्त किया गया। वर्ष 2016 में सिपाही बबलू सिंह की नियुक्ति जम्मू-कश्मीर के आतंकवाद विरोधी अभियानों के दमन हेतु 61 राष्ट्रीय राइफल के साथ की गई एवं 29 व 30 जुलाई 2016 की मध्य रात्रि नौगांव सेक्टर में आतंकवादियों ने घाटी में घुसपैठ करने का दुस्साहस किया था। जिसके बारे में गोपनीय सूत्रों ने पूर्व में ही नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ के ऐसे संभावित प्रयासों के बारे में सूचित किया था, 61 आरआर के सैनिक पूर्व से ही सतर्क थे और 30 जुलाई 2016 की रात्रि लगभग 12:30 बजे डेंजर चौकी पर सिपाही बबलू सिंह के साथी नायक विजेंद्र सिंह एवं सिपाही विशाल चौधरी नियंत्रण रेखा पर तारबंदी के साथ गश्त कर रहे थे। तभी आतंकवादियों ने उन पर घात लगाकर राइफल ग्रेनेड दागते हुए गोलियां चलाईं। सिपाही बबलू सिंह और नायक राकेन्द्र सिंह उनकी सहायता के लिए दौड़े इसी बीच दो आतंकवादी पत्थरों की आड़ के पीछे छुप गए। भीषण गोलीबारी हो रही थी, तभी सिपाही बबलू सिंह व दोनों आतंकवादी आमने-सामने आ गए आतंकवादियों ने लगभग 15 मीटर की दूरी से उन पर फायर किया। गंभीर रूप से घायल होने के उपरांत भी भारतीय सेना की सर्वोच्च परंपरा को कायम रखते हुए, अपने उच्च कोटि के साहस व वीरता का प्रदर्शन करते हुए सिपाही बबलू सिंह ने पलटवार कर दोनों आतंकवादियों को वहीं पर मार गिराया और स्वयं बुरी तरह जख्मी हो गए। इस प्रकार उन्होंने अपने साथियों की रक्षा की और राष्ट्र सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान दिया। लगभग 6 घंटे तक चली इस भीषण मुठभेड़ में 4 आतंकवादी मारे गए व अन्य वापस भाग गए। उनकी इसी बहादुरी, अदम्य साहस व कर्तव्य के प्रति निष्ठा को देखते हुए भारत सरकार ने उन्हें मरणोपरांत “सेना मेडल” से सम्मानित किया। 4 अक्टूबर 2023 को गांव झंडीपुर में शहीद बबलू सिंह के स्मारक पर भारतीय सेना का टी-55 टैंक स्थापित कर ऐतिहासिक एवं नवीन कीर्तिमान स्थापित हुआ है। जिसमें शहीद बबलू सिंह के भाई सतीश सिंह द्वारा राष्ट्र सेवा में अपना सर्वोच्च बलिदान देने वाले भाई की स्मृति में भारतवर्ष में पहली बार शहीद स्मारक के नजदीक टैंक स्थापित कराया है। यह वही टी55 टैंक है, जिसे 1971 की लड़ाई में भारतीय सेना ने प्रयोग किया था। इस टैंक ने अपनी भीषण गोलाबारी द्वारा पाकिस्तान को पराजित कर भारतवर्ष को विजय श्री दिलाई थी। सतीश सिंह ने अपने शहीद भाई की यूनिट के कमांडिंग ऑफिसर का बहुत-बहुत धन्यवाद किया उन्होंने कहा कि मुझे जब भी कोई परेशानी आई, तो यूनिट ने हमेशा परिवार की भांति साथ दिया। शहीद बबलू सिंह की 8वीं पुण्यतिथि में शहीद बबलू सिंह की पत्नी रविता देवी, पिता मलूका राम, भाई निर्भय सिंह, हरिओम सिंह, सतीश सिंह, बहन अंजना, बेटा द्रोण चौधरी, बेटी गरिमा चौधरी, चाचा भीमसेन, हुकम सिंह सहित 18 जाट रेजिमेंट के कमांडिंग ऑफिसर बी. आर. राव, कर्नल मनीष रोहतान, सूबेदार बलबीर, देवेन्द्र, वीरेन्द्र, दुष्यंत, गब्बर, तेजपाल, विजयपाल, मनीष, निहाल सिंह सहित अन्य जवान एवं संस्कार जागृति मिशन की अध्यक्ष डॉ. अर्चना प्रिय आर्य, पूर्व जिला पंचायत अध्यक्ष – अनूप चौधरी, पूर्व विधायक- ठाकुर कारिन्दा सिंह सहित जनपद के गणमान्य लोग मुख्य रूप से मौजूद रहे।