अतुल्य भारत चेतना
राजकुमार अग्रहरि
सिद्धार्थ नगर। समाज का सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति आचार्य है क्योंकि यह समाज निर्माता है। एक ध्येय को लेकर शिक्षण करना पड़ेगा कि हमारे विद्यालय का एक बच्चा विवेकानंद बने, दो कलेक्टर बन जाए, दो वैज्ञानिक बन जाए इसके लिए आप सभी को अपने विद्यालयों में तपस्या करनी पड़ेगी।
उक्त बातें शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत के मंत्री श्री रामनाथ गुप्ता ने कही। वह विद्या भारती शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत द्वारा रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज तेतरी बाजार में आयोजित नव चयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के समापन सत्र को संबोधित कर रहे थे।

आगे उन्होंने कहा हमारे विद्या भारती के विद्यालय किसी भी मामले में काम नहीं है। विदेशी आक्रांताओं ने हमारी सभ्यता व संस्कृति का बहुत बड़ा नुकसान किया आजादी के पूर्व पूरे देश भर में लाखों इसाई मिशनरियाँ विद्यालय चलती थी विदेशों से फंडिंग होती थी जो आज भी है जिनका एकमात्र उद्देश्य भारतीय संस्कृति पर कुठाराघात था। हमारे मनीषियों ने चिंतन के पश्चात विद्या भारती की स्थापना की। आज पूरे देश भर में 12872 विद्यालयों के माध्यम से हम समाज को दिशा व दशा देने का काम करते हैं तथा संस्कृति और संस्कार का संरक्षण करते हैं।

आपके प्रशिक्षण के दौरान बहुत सारे विषय आए होंगे आप सभी को संस्कृति व संस्कारों के संरक्षण के साथ-साथ प्रतियोगिता के लिए भी तैयार रहना होगा। प्रशिक्षण को प्राप्त कर धरातल पर उतारें तभी यह प्रशिक्षण वर्ग सफल होगा। इसके पूर्व विद्या भारती शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत के प्रदेश निरीक्षक श्री राम सिंह ने पूरे प्रशिक्षण वर्ग का वृत्त प्रस्तुत किया।

उक्त अवसर पर बलिया संभाग के संभाग निरीक्षक श्री कन्हैया चौबे, अखिल भारतीय संस्कृति ज्ञान परीक्षा के प्रांतीय प्रभारी दिवाकर मिश्र समेत विद्यालय के व्यवस्था में लगे आचार्यो की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।
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