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वर्ल्ड फारेस्ट फाउण्डेशन के संस्थापक यशपाल सिंह नेगी ने वृक्षारोपण कर मनाया अपना जन्मदिन

By News Desk Jun 17, 2024
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बाॅक्स-अपने पूर्वजों की प्रेरणा से निर्मित किया मिनी जंगल लगाये 15550 वृक्ष

अतुल्य भारत चेतना
सुशांत “चारुल”

देहरादून। विकास के नाम पर वृक्षों की अंधाधुंध कटाई और बेलगाम बढ़ती जनसंख्या से धरती पर पर्यावरण संकट बढ़ता जा रहा है। लेकिन कुछ समझदार लोगों में पेड़ों के प्रति जागरुकता अवश्य बढ़ी है।इसका ताजा उदाहरण देहरादून के ग्राम कोटी, अठूरवाला भानियावाला वार्ड नंबर-09,चौक नम्बर-4 में निवास करने वाले पर्यावरण प्रेमी ने अपना जन्मदिन पर्यावरण संरक्षण व सुरक्षित पर्यावरण संकल्प के साथ वृक्षारोपण कर मनाया।

आपको बताते चलें कि दिनांक 15 जून 2024 को वर्ल्ड फारेस्ट फाउन्डेशन के संस्थापक यशपाल सिंह नेगी ने अपने जन्मदिवस के अवसर पर देश के भविष्य नन्हें-मुन्ने बच्चों के साथ मिलकर वृहद स्तर पर वृक्षारोपण किया व पेड़ पौधों की जानकारी भी दी।
पौधों के रोपण में उन्होंने द्वारा रैड मचीरा,टिकोमा,पिलखन,बरगद, पीपल,कचनार,जामुन,नीम लगाया गया।
जहां आज के युग में युवा नशे की ओर अग्रसर है,वही बचपन से आजतक यशपाल सिंह नेगी ने पर्यावरण संरक्षण के लिए अपना जीवन समर्पित कर दिया है।
उन्होंने बताया कि उनको पर्यावरण को संरक्षित करने की प्रेरणा अपने माता स्व.शान्ता गुनसोला नेगी और पिता भरत सिंह नेगी से मिली है।

और उनके अन्दर बचपन से पर्यावरण के प्रति लगाव,जिज्ञासा,मार्गदर्शन माता-पिता से तो रहें बल्कि उनके नानी चन्दा गुनसोला और नाना गोविन्द सिंह गुनसोला का भी अहम योगदान रहा।प्रत्येक व्यक्ति का कर्तव्य है कि वह अपने जीवन में एक पौधा अवश्य लगाए व उसकी संभाल करें।
पर्यावरण,प्रकृति प्रेमी होने के कारण उनके द्वारा देहरादून में आवासीय परिसर में एक मिनी जंगल का निर्माण किया। जहां विभिन्न प्रकार के पेड़ पौधों को लगाया गया है,जो देखने में एक दम अनोखा और अपनी ओर आकर्षित करता है।
वह लगभग 28 वर्षों से निरंतर पर्यावरण संरक्षण के लिए कार्य कर रहे हैं वो भी अपने संसाधनों के द्वारा और बिना किसी सरकारी खर्चें से।
केवल यह सराहनीय कार्य वह अपने पिता के सहयोग से कर रहे हैं।

यशपाल सिंह नेगी ने अपने आवासीय परिसर और अन्य कार्यक्रमों में अभी तक लगभग 15550 वृक्ष लगा चुके हैं।जो विभिन्न प्रजाति के हैं।
उनके प्रारम्भिक जीवन की बात करें तो उनका जन्म अठूरवाला टिहरी गढ़वाल में हुआ।जो अब टिहरी झील में समा चुका है। प्रारम्भिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर कोटी काॅलोनी एवं माध्यमिक शिक्षा सरस्वती विद्या मंदिर कोटी अठूरवाला देहरादून से प्राप्त की और उच्च शिक्षा ग्रेजुएशन के लिए I.H.M मेरठ से की। और उनके द्वारा समाज के बीच एक मिशाल पेश की, उनके उच्च शिक्षा में विषय पर्यावरण न होने के बाद भी वह पर्यावरण संरक्षण के लिए पूरे 28 वर्षों से काम कर रहे हैं और उनका मन किसी अन्य जगह न लगा और पर्यावरण संरक्षण को अपना जीवन लक्ष्य माना, पर्यावरण को कैसे बचाया जायें अपना उद्देश्य बना लिया और उनका मानना है कि वह जीवन भर वह इसी कार्य को करते रहेंगे।
यशपाल सिंह नेगी ने अपने पर्यावरण संदेश में कहा कि विकास की दौड़ में कहीं न कहीं हम सभी प्रकृति की उपेक्षा कर रहे हैं, जिसका खामियाजा भी हमें ही भुगतना पड़ रहा है। इसे संरक्षित करना होगा। भारतीय संस्कृति में पेड़,पौधे,नदी आदि पर्यावरण से संबंधित प्राकृतिक संसाधनों की पूजा की जाती है। इसके पीछे इन सभी का महत्व समझने का संदेश छिपा होता है। उन्होंने युवा वर्ग से अपील की कि सभी पौधारोपण के लिए आगे आएं और अपने पर्यावरण को हरा-भरा बनाएं। उन्होंने ये भी कहा कि अगर समाज और पर्यावरण के सरकार व वन विभाग उन्हें पर्यावरण संरक्षण के प्रति कोई भी जिम्मेदारी देगा तो वह सदैव तत्पर है और हमेशा रहेंगे।

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