अतुल्य भारत चेतना
राजकुमार अग्रहरि
सिद्धार्थनगर। शिक्षक होना अनेक जन्मों के पुण्य का फल है उसमें भी विद्या भारती जैसे शिक्षण संस्थान का अंगीभूत घटक बनना आगामी जीवन की मंगलमय कामना है। उक्त बातें विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के क्षेत्रीय अध्यक्ष व सिद्धार्थ विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति डॉ0 सुरेंद्र दूबे ने कही। वह विद्या भारती गोरक्ष प्रांत के शिशु शिक्षा समिति द्वारा रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज तेतरी बाजार में आयोजित दस दिवसीय नव चयनित आचार्य प्रशिक्षण वर्ग के उद्घाटन सत्र को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।आगे उन्होंने कहा विद्या वह माध्यम है जो व्यक्ति का केवल निर्माण ही नहीं करती बल्कि वासनाओं, लालच, बेईमानी आदि सारे दुर्गुणों से मुक्ति दिलाती है।

विद्या भारती हमें सिखाती है कि निर्माणों के पावन युग में हम चरित्र निर्माण में भूलें। हमें सब को लेकर आगे चलना है हमको सबको साथ लेकर चलना है।प्रेम से रामराज्य की स्थापना होती है घृणा से महाभारत होता है। इसके पूर्व कार्यक्रम का शुभारंभ अतिथियों द्वारा मां सरस्वती के चित्र के समक्ष दीपतत्रण प्रज्ज्वलन व पुष्पार्चन कर किया गया।

अतिथियों का परिचय बलिया के संभाग निरीक्षक श्री कन्हैया चौबे ने कराया। उक्त अवसर पर क्षेत्रीय प्रशिक्षण प्रमुख श्री दिनेश सिंह जी, शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत के प्रदेश निरीक्षक श्री राम सिंह जी, विद्यालय प्रबंध समिति कोषाध्यक्ष अजय जयसवाल, प्रधानाचार्य रामकेवल शर्मा, गोविंद सिंह, बालिका विद्यालय की प्रभारी श्रीमती प्रतिमा सिंह समेत समस्त प्रशिक्षार्थी बंधुओं व व्यवस्था में लगे बंधुओं की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। कार्यक्रम का संचालन प्रान्तीय परीक्षा प्रमुख दिवाकर मिश्रा ने किया।
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