अतुल्य भारत चेतना
शिवशंकर जायसवाल
कोरबा/कटघोरा। वट सावित्री ज्येष्ठ अमावस्या के दिन रखा जाता है। यह व्रत सुहागन महिलाएं अपने पति की लंबी आयु और सुखी वैवाहिक जीवन के लिए रखती हैं।
आज के दिन सुहागिन महिलाएं सबेरे नहा धोकर, श्रृंगार कर बरगद एवम पीपल के वृक्ष पर ताबे के लोटे से 108 एवम 21 बार जल अर्पित करते है। उसके बाद बरगद वृक्ष में पूजा के लिए कलश, फल, फूल, दीप, अगरबत्ती, नारियल, बास के 21 डटल जिसमे बेसन का लेप लगा होता है। नारियल, मीठा, 108 दाना चने या मूंगफली दाना, पीला धागा, जनेऊ, कपूर, आदि सामान आवश्यकता होती है।

बरगद वृक्ष के नीचे बैठकर विधि विधान से पूजा अर्चना कर 108 बार पीले धागे से लपेटती है और प्रत्येक बार चने या मूंगफली के दाने को तने में डालते जाते है की गिनती न भूले। ऐसा 108 बार परिक्रमा करती है। बरगद वृक्ष के पूजा के बाद पीपल पेड़ में 21 बार जल अर्पित कर पूजा अर्चना भी किया जाता है। सभी महिलाएं हरिश्चंद्र तरामती को कथा श्रवण की गई।
आज के दिन दान। पुण्य करना चाहिए। पितृरो को शांति के लिये तर्पण श्राद्ध आदि करनी चाहिए। बरगद वृक्छंक नीचे ब्रम्हा, विष्णु, महेश विराजमान रहते है। ओ भी आज के दिन।गाय के शुद्ध दूध जड़ में अर्पित करने से सभी देवता खुश हो जाते है। सभी बाधाये दूर हो जाती है क्योंकि ये वृक्ष साक्षात ईश्वर का प्रतीक माना जाता है। यह उपवास रहने से पति एवं पुत्र की आयु लंबी होती है। सुख शांति एवं समृद्धि परिवार में रहती है।

श्रीमती मुक्ता जायसवाल प्रिंसिपल – कलचुरी पब्लिक स्कूल कटघोरा एवम जायसवाल महिला समाज प्रमुख ने कहा कि 30 वर्षों से यह व्रत रहते आ रही है। इससे सुख, समृद्धि, पति एवं पुत्र की आयु लंबी होती है। इसी प्रकार, मंजू जायसवाल मेडम, देव कुमारी पटेल दीपा यादव, प्रीति जायसवाल, लीना जायसवाल दीक्षा डिक्सेना ,प्रिया जायसवाल कोरबा, दिगेश्वरी केला श्रीमती सोनी ने कहा कि इस व्रत को रखने से पति की लंबी आयु, सुख समृद्धि, परिवार में बनी रहती है।
दिनभर निर्जला व्रत रहकर साय होते ही फल, फूल, मुंग का तीखुर, आहार लेकर व्रत तोड़ती है।
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