अतुल्य भारत चेतना
मोहम्मद शरीफ कुरैशी
रतलाम। विश्व माहवारी दिवस के अवसर पर महिला बाल विकास विभाग रतलाम द्वारा रतलाम की महिला आईटीआई में जिला स्तरीय कार्यक्रम आयोजित किया गया, जिसमें मुख्य अतिथि के रूप में पद्मश्री डॉक्टर लीला जोशी उपस्थित रही। कार्यक्रम में वक्ताओं ने विश्व माहवारी दिवस के उद्देश्यों की जानकारी दी तथा मासिक धर्म पर विशेष रूप से प्रकाश डाला।

डॉ. लीला जोशी ने बालिकाओं से संवाद करते हुए कहा कि मासिक धर्म स्वास्थ्य न केवल स्वास्थ्य का मुद्दा है बल्कि यह एक मानव अधिकार का मुद्दा भी है। बड़ी संख्या में व्यक्तियों के पास आज मासिक धर्म उत्पादों तथा मासिक धर्म स्वास्थ्य के लिए जागरूकता का अभाव है। पर्याप्त सुविधाओं तक पहुंच नहीं है, परिवार के सदस्यों विशेषकर किशोरी बालिकाओं को माहवारी स्वच्छता तथा माहवारी स्वास्थ्य को प्राथमिकता देनी चाहिए। स्कूलों कार्य स्थलों, सार्वजनिक संस्थाओं को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि महिलाएं आसानी तथा सम्मान के साथ माहवारी प्रबंध कर सके। डॉ. लीला जोशी ने कहा कि मासिक धर्म उत्पादों तक तक आसान पहुंच के लिए अग्रणी सामाजिक संगठनों को सार्वजनिक स्थानों पर सेनेटरी पैड, वेंडिंग मशीन या औषधि वितरित करने की पहल करनी चाहिए। साथ ही प्रशिक्षण तथा कार्यशालाओं के माध्यम से उन्मुखीकरण किया जाना चाहिए।
परियोजना अधिकारी महिला बाल विकास श्रीमती अर्चना महावर ने कहा कि 28 मई 2014 को मासिक धर्म स्वच्छता दिवस की स्थापना हुई जिसका उद्देश्य वर्ष 2030 तक मासिक धर्म को जीवन का एक सामान्य तथ्य बनाना है। महिलाओं की भलाई तथा गरिमा के लिए मासिक धर्म स्वच्छता एवं प्रबंधन के महत्व को समझने तथा समाज में माहवारी से संबंधित व्याप्त कुरीतियों को समाप्त करने के लिए जागरूकता बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है।
कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में ममता संस्था के जिला समन्वयक श्री सुनील सेन ने बताया कि 28 मई को संपूर्ण विश्व में माहवारी स्वच्छता दिवस के रूप में मनाया जाता है। इस आयोजन के माध्यम से जनजागरूकता को बढ़ाकर समाज में वर्षों से व्याप्त रूढ़िवादी प्रचलन को खत्म करना तथा मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन की उचित प्रथाओं को बढ़ावा देना है। माहवारी स्वच्छता दिवस पांचवे महीने के 28 वें दिन मनाया जाता है। यह मासिक धर्म चक्र की औसत अवधि का प्रतिनिधित्व करता है जो प्रायः लगभग 28 दिनों का होता है। यह मासिक धर्म की औसत अवधि का प्रतीक है जो हर महीने लगभग 5 दिनों तक रहता है। किशोरी बालिकाओं को इस दौरान अपने स्वास्थ्य एवं पोषण आहार व्यवहार पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता होती है। पर्याप्त मात्रा में पोषणयुक्त भोजन का सेवन करना चाहिए, साथ ही संगीत, पुस्तक या अपने रुचि की खेल गतिविधियों के माध्यम से प्रसन्नचित एवं मानसिक रूप से स्वस्थ रहने का प्रयास करना चाहिए।
महिला आईटीआई प्राचार्य श्री ए.के. श्रीवास्तव ने कहा कि आईटीआई में भविष्य में भी महिला एवं बाल विकास विभाग के सहयोग से विभिन्न जागरूकता कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। कार्यक्रम के अंत में मासिक धर्म पर शपथ ली गई। इस अवसर पर आईटीआई का स्टाफ, समस्त सक्रिय पर्यवेक्षक तथा चयनित आंगनवाड़ी कार्यकर्ता उपस्थित रही। संचालन परियोजना अधिकारी श्रीमती सुशीला व्यास ने किया तथा आभार श्री सुनील सेन ने माना।
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