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ब्युरो चीफ हाकम सिंह रघुवंशी
विदिशा/लटेरी। 21 जून 2025 को मध्य प्रदेश के पंचायत एवं ग्रामीण विकास तथा श्रम मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने विदिशा जिले की लटेरी तहसील के वार्ड क्रमांक 14, गोपीतलई में जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत आयोजित कार्यक्रम में भाग लिया। इस अवसर पर उन्होंने सिंध और सगड़ नदी के उद्गम स्थल पर पूजा-अर्चना की और जल, जल, एवं पंचामृत अर्पित किया। कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्ज्वलन और माल्यार्पण के साथ हुआ। मंत्री पटेल ने जल संरक्षण और पर्यावरण संरक्षण के महत्व पर जोर देते हुए पुराने जल स्रोतों के पुनर्जनन और पौधारोपण की आवश्यकता पर प्रकाश डाला।

मंत्री पटेल का संबोधन: जल संरक्षण और पौधारोपण पर जोर
मंत्री प्रहलाद सिंह पटेल ने अपने संबोधन में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि जल गंगा संवर्धन अभियान को इस वर्ष तीन माह तक संचालित करने का निर्णय जल संरक्षण की दिशा में एक प्रशंसनीय कदम है। उन्होंने कहा कि इस अभियान के तहत पुराने जल स्रोतों का जीर्णोद्धार, नए जल स्रोतों का निर्माण, और पौधारोपण के कार्य किए जा रहे हैं ताकि भविष्य की पीढ़ियों के लिए पर्याप्त जल सुनिश्चित हो सके। पटेल ने बताया कि उन्होंने इस वर्ष प्रदेश के 79 नदी उद्गम स्थलों का निरीक्षण किया है।
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उन्होंने चिंता जताई कि पिछले कुछ वर्षों में ग्रामीण क्षेत्रों के कई जल स्रोत सूख गए हैं, और इसके कारणों को समझकर उन्हें पुनर्जनन करने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, “हमें जल स्रोतों की चिंता करनी होगी और उन्हें जीवित रखना हमारी जिम्मेदारी है। छोटी नदियों को बारहमासी बनाकर ही बड़ी नदियों का निर्माण संभव है।” उन्होंने पौधारोपण के महत्व पर बल देते हुए कहा कि जल संरक्षण के साथ-साथ पेड़ लगाना और उन्हें वटवृक्ष बनने तक संरक्षित करना आवश्यक है। “यदि हम अगले पांच-सात वर्षों तक निरंतर इस दिशा में कार्य करें, तो हम जल स्रोतों को पुनर्जनन कर सकेंगे और भावी पीढ़ियों के लिए जल संकट की स्थिति से बच सकेंगे।”

पाराशरी नदी का उल्लेख
मंत्री ने बासौदा की पाराशरी नदी के लिए किए जा रहे कार्यों का जिक्र किया। उन्होंने बताया कि इस नदी में 5 किलोमीटर तक का कार्य प्रगति पर है, जो क्षेत्र में पेयजल की उपलब्धता को सुनिश्चित करने में महत्वपूर्ण योगदान देगा। यह कार्य जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जनभागीदारी और सरकारी प्रयासों का एक उत्कृष्ट उदाहरण है।
जल गंगा संवर्धन अभियान: उद्देश्य और उपलब्धियां
जल गंगा संवर्धन अभियान, जो 30 मार्च 2025 को शुरू हुआ और 30 जून 2025 तक चलेगा, मध्य प्रदेश सरकार की एक महत्वाकांक्षी पहल है। इसका उद्देश्य नदियों, तालाबों, कुओं, और बावड़ियों जैसे जल स्रोतों का संरक्षण और पुनर्जनन करना है। अभियान में जनभागीदारी को बढ़ावा देने के लिए जागरूकता कार्यक्रम, स्वच्छता अभियान, और पौधारोपण जैसे कार्य शामिल हैं।

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इस अभियान ने खंडवा जिले में नर्मदा की सहायक नदी घोड़ा पछाड़ के पुनर्जनन में उल्लेखनीय सफलता हासिल की है। मंत्री पटेल ने कहा कि मध्य प्रदेश में गंगा, नर्मदा, और गोदावरी जैसे प्रमुख नदी बेसिन हैं, और इनके उद्गम स्थलों का संरक्षण महत्वपूर्ण है। उन्होंने पिछले वर्ष 32 नदी उद्गम स्थलों का दौरा किया था, जहां केवल पांच स्थानों पर जल उपलब्ध था, लेकिन इस वर्ष सभी स्थानों पर जल की उपलब्धता देखकर उन्हें प्रसन्नता हुई।
आयोजन का विवरण
कार्यक्रम में लटेरी नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती शैलेश भंडारी, संदीप डोंगर सिंह, जिला पंचायत सीईओ ओपी सनोडिया, लटेरी एसडीएम विनीत तिवारी, अन्य जनप्रतिनिधि, अधिकारी, कर्मचारी, और स्थानीय नागरिक उपस्थित रहे। गोपीतलई के इस तालाब और नदी उद्गम स्थल को स्वच्छ और सुंदर बनाए रखने का संकल्प लिया गया, जिसे मंत्री पटेल ने सांस्कृतिक धरोहर संरक्षण का एक महत्वपूर्ण कदम बताया।
सामुदायिक प्रभाव और भविष्य की दिशा
यह आयोजन जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत जनभागीदारी और सरकारी प्रयासों का एक प्रेरक उदाहरण रहा। गोपीतलई में सिंध और सगड़ नदी के उद्गम स्थल पर पूजा-अर्चना और जल संरक्षण के प्रति जागरूकता ने स्थानीय समुदाय को प्रेरित किया। मंत्री पटेल ने नागरिकों से अपील की कि वे जल स्रोतों के संरक्षण और पौधारोपण में सक्रिय भागीदारी करें ताकि मध्य प्रदेश जल संकट से मुक्त एक समृद्ध राज्य बन सके।

जल गंगा संवर्धन अभियान के तहत किए जा रहे कार्य, जैसे जल संरचनाओं की सफाई, गाद हटाना, और नए जल स्रोतों का निर्माण, मध्य प्रदेश के पर्यावरण और जल संसाधनों के संरक्षण में मील का पत्थर साबित हो रहे हैं। गोपीतलई का यह आयोजन न केवल जल संरक्षण, बल्कि सामुदायिक जागरूकता और सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम रहा।