अतुल्य भारत चेतना
रईस
नानपारा/बहराइच। बहराइच के नानपारा क्षेत्र में जेठ माह की धूल भरी आंधी ने आम की फसलों को व्यापक क्षति पहुंचाई है। शुक्रवार दोपहर करीब 12:00 बजे अचानक मौसम में आए बदलाव के साथ तेज हवाओं, धूल भरी आंधी और हल्की बारिश ने क्षेत्र के बागवानों और ठेकेदारों की उम्मीदों को झटका दिया। इस प्राकृतिक आपदा ने आम की फसलों को भारी नुकसान पहुंचाया, जिससे स्थानीय किसानों और बाग मालिकों में निराशा छा गई है।
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आम की फसलों पर कहर
नानपारा क्षेत्र के आम के बागों में इस वर्ष फसल की स्थिति काफी अच्छी थी, और बागवानों को अच्छी पैदावार की उम्मीद थी। लेकिन शुक्रवार दोपहर 12:00 से 2:00 बजे के बीच चली तेज आंधी और हल्की बारिश ने कच्चे आमों को पेड़ों से गिरा दिया। तेज हवाओं के कारण कई पेड़ों की टहनियां टूट गईं, और फलों की गुणवत्ता पर भी प्रतिकूल प्रभाव पड़ा। स्थानीय बागवान राम प्रसाद ने बताया, “इस साल आम की फसल बहुत अच्छी थी, लेकिन इस आंधी ने सब बर्बाद कर दिया। गिरे हुए फल अब मंडी में बिकने लायक नहीं हैं।” बागवानों का अनुमान है कि इस नुकसान से उनकी आय में 40-50% की कमी आ सकती है।
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जनजीवन पर असर
धूल भरी आंधी के कारण दोपहर के समय नानपारा में सड़कों पर धूल का गुबार छा गया, जिससे आवागमन पूरी तरह ठप हो गया। दृश्यता कम होने के कारण राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। आंधी थमने और हल्की बारिश होने के बाद उमस में कुछ कमी आई, जिससे लोगों ने राहत की सांस ली। हालांकि, आम के बागों को हुए नुकसान ने स्थानीय अर्थव्यवस्था पर गहरा प्रभाव डाला है, क्योंकि नानपारा क्षेत्र में आम की खेती कई परिवारों की आजीविका का प्रमुख स्रोत है।
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मौसम विभाग का पूर्वानुमान
मौसम विभाग ने चेतावनी दी है कि आने वाले कुछ दिनों में नानपारा और आसपास के क्षेत्रों में और बारिश हो सकती है। यह खबर बागवानों के लिए चिंता का विषय है, क्योंकि बार-बार बदलता मौसम और अतिरिक्त बारिश शेष फसलों को और नुकसान पहुंचा सकती है। मौसम वैज्ञानिकों ने किसानों को सलाह दी है कि वे फसलों की सुरक्षा के लिए आवश्यक कदम उठाएं।
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बागवानों की मांग
आंधी से प्रभावित बागवानों ने जिला प्रशासन और सरकार से तत्काल राहत और मुआवजे की मांग की है। स्थानीय किसान नेता शिव कुमार यादव ने कहा, “प्राकृतिक आपदा से हुए नुकसान की भरपाई के लिए सरकार को तुरंत सर्वे करवाकर प्रभावित किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान करनी चाहिए।”
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बागवानों ने यह भी मांग की है कि फसल बीमा योजनाओं को और प्रभावी बनाया जाए ताकि भविष्य में ऐसी आपदाओं से निपटा जा सके।