जनार्दन पाण्डेय “नाचीज़” की कविता; छोड़ो यार भाड़ में जाये!
किसको इतनी फ़ुर्सत है जोहर मुश्किल में रोये गाये।छोड़ो यार भाड़ में जाये। हम चर्वाक नहीं पर हमनेमस्ती…
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