दुबई में रियल एस्टेट निवेश के अवसर और फायदे भारतीय नागरिकों के लिए आकर्षक हो सकते हैं, क्योंकि यह शहर अपनी तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्था, कर-मुक्त नीतियों और वैश्विक स्तर पर निवेशकों के लिए खुली नीतियों के लिए जाना जाता है। नीचे इसके अवसर, फायदे और भारतीय नागरिकों के लिए नियमों की जानकारी दी गई है:
दुबई में रियल एस्टेट निवेश के अवसर
- उच्च रिटर्न ऑन इनवेस्टमेंट (ROI):
दुबई का रियल एस्टेट बाजार निवेश पर 5-15% तक का किराये पर रिटर्न दे सकता है, जो वैश्विक स्तर पर सबसे अधिक में से एक है। ऑफ-प्लान संपत्तियाँ (निर्माणाधीन प्रोजेक्ट्स) खरीदने पर 80-90% तक का लाभ संभव है। - बढ़ती मांग:
दुबई की आबादी और पर्यटकों की संख्या लगातार बढ़ रही है, जिससे आवासीय और वाणिज्यिक संपत्तियों की मांग में तेजी आई है। सालाना 60,000-65,000 नई संपत्तियाँ विकसित हो रही हैं। - विविध विकल्प:
विलासिता से लेकर किफायती संपत्तियों तक, जैसे पाम जुमेराह के विला या डाउनटाउन दुबई के अपार्टमेंट, निवेशकों के लिए कई विकल्प उपलब्ध हैं। - गोल्डन वीजा:
20 लाख दिरहम (लगभग 4.5-5 करोड़ रुपये) से अधिक की संपत्ति खरीदने पर 10 साल का निवास वीजा मिल सकता है, जो निवेशकों और उनके परिवार के लिए अतिरिक्त लाभ प्रदान करता है।
दुबई में रियल एस्टेट निवेश के फायदे
- कर-मुक्त आय:
दुबई में संपत्ति बिक्री, किराये की आय या पूंजीगत लाभ पर कोई टैक्स नहीं लगता, जिससे निवेशकों को अधिक मुनाफा होता है। - आर्थिक स्थिरता:
दुबई की अर्थव्यवस्था सालाना 3-4% की दर से बढ़ रही है, जो इसे निवेश के लिए सुरक्षित बनाती है। - वैश्विक कनेक्टिविटी:
दुबई एक वैश्विक व्यापार केंद्र है, जो संपत्ति की मांग को बढ़ाता है और किराये के अवसर प्रदान करता है। - आसान खरीद प्रक्रिया:
विदेशी नागरिकों को “फ्रीहोल्ड” क्षेत्रों (जैसे पाम जुमेराह, डाउनटाउन दुबई) में संपत्ति खरीदने की अनुमति है, और प्रक्रिया पारदर्शी है।
भारतीय नागरिकों के लिए नियम
भारतीय नागरिकों को दुबई में रियल एस्टेट निवेश करते समय भारतीय और यूएई दोनों के नियमों का पालन करना होता है। ये नियम निम्नलिखित हैं:
- लिबरलाइज्ड रेमिटेंस स्कीम (LRS):
- भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) की LRS के तहत एक भारतीय नागरिक प्रति वर्ष 2.5 लाख अमेरिकी डॉलर (लगभग 2.1 करोड़ रुपये) तक विदेश में निवेश कर सकता है।
- इस राशि का उपयोग संपत्ति खरीद के लिए किया जा सकता है, लेकिन इसे 180 दिनों के भीतर निवेश करना जरूरी है, वरना राशि भारत वापस लानी होगी।
- परिवार के प्रत्येक सदस्य (नाबालिग सहित) के नाम पर अलग से 2.5 लाख डॉलर की सीमा का लाभ लिया जा सकता है, बशर्ते यह आयकर रिटर्न में घोषित हो।
- फेमा (FEMA) नियम:
- विदेशी मुद्रा प्रबंधन अधिनियम (Foreign Exchange Management Act) के तहत, भारतीय नागरिक उधार लिए गए धन से विदेश में संपत्ति नहीं खरीद सकते। पूरा भुगतान अपनी निजी आय से करना होगा।
- किस्तों में भुगतान की योजना जिसमें ब्याज शामिल हो, उसे वित्तपोषण माना जा सकता है, जो फेमा का उल्लंघन हो सकता है। इसलिए डेवलपर की पेमेंट योजना को सावधानी से जांचें।
- दुबई के नियम:
- संपत्ति केवल “नामित फ्रीहोल्ड क्षेत्रों” में खरीदी जा सकती है, जहां विदेशियों को मालिकाना हक मिलता है।
- खरीदारी के लिए दुबई लैंड डिपार्टमेंट (DLD) में रजिस्ट्रेशन और RERA (Real Estate Regulatory Authority) के नियमों का पालन करना जरूरी है।
- गोल्डन वीजा के लिए संपत्ति का मूल्य 20 लाख दिरहम से अधिक होना चाहिए, और यह पूरी तरह से चुकता होना चाहिए (ऋण-मुक्त)।
- आयकर घोषणा:
- विदेश में संपत्ति खरीद को भारत में आयकर रिटर्न (ITR) में घोषित करना अनिवार्य है, भले ही उससे कोई आय न हो रही हो।
- किराये की आय या बिक्री से लाभ होने पर उसे भी घोषित करना होगा, और भारत में कर लागू हो सकता है।
- कानूनी सावधानी:
- डेवलपर की विश्वसनीयता जांचें और संपत्ति खरीद से पहले एक स्थानीय वकील से सलाह लें ताकि कोई विवाद न हो।
- सुनिश्चित करें कि संपत्ति पर कोई बंधक (मॉर्गेज) न हो, या उसे खरीद से पहले हटा दिया जाए।
सुझाव
- शोध करें: दुबई में संपत्ति बाजार तेजी से बदलता है। नवीनतम रुझानों और क्षेत्रों (जैसे दुबई मरीना, बिजनेस बे) की जानकारी रखें।
- विशेषज्ञ से संपर्क: भारतीय ब्रोकरेज फर्में और दुबई के रियल एस्टेट सलाहकार मदद कर सकते हैं।
- छोटे निवेश से शुरू करें: यदि बजट सीमित है, तो ऑफ-प्लान संपत्तियाँ या संयुक्त निवेश एक अच्छा विकल्प हो सकता है।
संक्षेप में, दुबई का रियल एस्टेट बाजार भारतीय निवेशकों के लिए लाभकारी है, लेकिन सफलता के लिए भारतीय और यूएई दोनों के नियमों का सख्ती से पालन करना जरूरी है। सही योजना और जानकारी के साथ यह निवेश दीर्घकालिक लाभ दे सकता है।