Breaking
Mon. Nov 10th, 2025

Kairana news; टीम ने दो दिनों में पकड़े तीन दर्जन खूंखार बंदर: कैराना में अभियान से मिली राहत, जंगलों में छोड़े गए

Spread the love

अतुल्य भारत चेतना
मेहरबान अली कैरानवी

कैराना/शामली। उत्तर प्रदेश के शामली जिले के कैराना नगर में खूंखार बंदरों का आतंक थमने का नाम नहीं ले रहा था। पिछले कुछ वर्षों से इन बंदरों ने स्थानीय निवासियों को परेशान कर रखा था, लेकिन नगर पालिका परिषद प्रशासन ने अब कड़ा रुख अपनाते हुए विशेष अभियान चलाया। पिछले दो दिनों (रविवार और सोमवार) में एक दो सदस्यीय टीम ने तीन दर्जन से अधिक खूंखार बंदरों को सफलतापूर्वक पकड़ लिया। पकड़े गए बंदरों को नगर से 20 किलोमीटर दूर जंगलों में सुरक्षित छोड़ दिया गया। यह अभियान पालिका अध्यक्ष शमशाद अहमद अंसारी और अधिशासी अधिकारी समीर कुमार कश्यप के निर्देश पर चलाया गया, जिससे क्षेत्रवासियों को बड़ी राहत मिली है।

इसे भी पढ़ें: इसे भी पढ़ें: लोन, फाइनेंस, इंश्योरेंस और शेयर ट्रेडिंग से जुड़ी महत्वपूर्ण जानकारी

बंदरों का आतंक: एक पुरानी समस्या का समाधान

कैराना नगर में बंदरों की समस्या वर्षों पुरानी है। आक्रामक बंदरों ने न केवल घरों और सड़कों पर उत्पात मचाया, बल्कि कई घटनाओं में निवासियों पर हमले भी किए। 2021 में इसी क्षेत्र में बंदरों के हमले से एक भाजपा नेता की पत्नी सुषमा देवी की दर्दनाक मौत हो चुकी थी, जब वह छत से कूदकर बचने की कोशिश में घायल हो गईं। इसी तरह, अन्य घटनाओं में बंदरों ने बच्चों और बुजुर्गों को निशाना बनाया, जिससे स्थानीय प्रशासन पर दबाव बढ़ा। नगर पालिका परिषद ने अब इस समस्या का स्थायी समाधान खोजने के लिए विशेषज्ञ टीम को बुलाया, जो वन्यजीव संरक्षण नियमों के अनुरूप कार्य कर रही है।

इसे भी पढ़ें : उनसे पूछो मंदिर क्या है ?

अभियान की रूपरेखा: पिंजरे और चारे से सफलता

नगर पालिका के सफाई विभाग के लिपिक मोहम्मद असलम ने बताया कि पालिकाध्यक्ष शमशाद अहमद अंसारी और अधिशासी अधिकारी समीर कुमार कश्यप के सख्त निर्देश पर शफीक अहमद के नेतृत्व में दो सदस्यीय विशेषज्ञ टीम को बुलाया गया। टीम ने रविवार और सोमवार को नगर के संवेदनशील क्षेत्रों – प्राचीन देवी मंदिर क्षेत्र और जलकल परिसर के नलकूप नंबर 1 – में अभियान चलाया।

इसे भी पढ़ें: बाबा नीम करोली कैंची धाम की महिमा तथा नीम करोली बाबा के प्रमुख संदेश!

अभियान की रणनीति सरल लेकिन प्रभावी थी:

  • लालच का जाल: पिंजरों में केले और चने जैसे आकर्षक चारे डाले गए, जिससे बंदर आसानी से फंस गए।
  • पकड़ने की प्रक्रिया: छोटे पिंजरों में फंसने के बाद बंदरों को बड़े पिंजरे में स्थानांतरित किया गया।
  • विस्थापन: रात्रि के समय, जब बंदर शांत होते हैं, सभी को नगर से 20 किलोमीटर दूर घने जंगलों में ले जाकर छोड़ा गया। इससे बंदरों को वापस लौटने का अवसर नहीं मिलेगा।

अभियान के पहले ही दिन 18 से अधिक बंदर पकड़े गए, जबकि दूसरे दिन बाकी पकड़ में आए। कुल मिलाकर तीन दर्जन (36 से अधिक) बंदरों को पकड़ा गया। टीम ने वन्यजीव सुरक्षा अधिनियम के तहत सभी प्रक्रियाओं का पालन किया, जिसमें बंदरों को नुकसान न पहुंचाना सुनिश्चित किया गया।

इसे भी पढ़ें : …लेकिन विडम्बना पता है क्या है?

स्थानीय निवासियों की प्रतिक्रिया: राहत की सांस

अभियान के सफल होने पर कैराना के निवासियों में खुशी की लहर दौड़ गई। देवी मंदिर क्षेत्र की रहने वाली मीरा देवी ने कहा, “बंदरों का आतंक इतना था कि बच्चे घर से बाहर नहीं निकल पाते थे। अब कुछ राहत मिली है।” इसी तरह, जलकल परिसर के पास रहने वाले व्यापारी राजेश कुमार ने प्रशासन की सराहना की, “तत्काल कार्रवाई से विश्वास बढ़ा है। उम्मीद है कि यह अभियान नियमित चलेगा।” पालिका अध्यक्ष शमशाद अहमद अंसारी ने कहा, “नागरिकों की सुरक्षा हमारी प्राथमिकता है। बंदरों की समस्या शहरीकरण और जंगलों के सिकुड़ने से बढ़ी है। हम आगे भी ऐसे अभियान चलाएंगे और वन विभाग से समन्वय बनाए रखेंगे।”

इसे भी पढ़ें: लखनऊ स्थित प्रसिद्ध शिव मंदिर और उनकी महिमा

भविष्य की योजना: स्थायी समाधान की दिशा

यह अभियान केवल तात्कालिक राहत नहीं, बल्कि दीर्घकालिक योजना का हिस्सा है। नगर पालिका ने वन विभाग के साथ मिलकर बंदरों के लिए विशेष फीडिंग जोन स्थापित करने और जागरूकता अभियान चलाने का फैसला किया है। विशेषज्ञों के अनुसार, बंदरों को पकड़ने के साथ-साथ उनके प्राकृतिक आवास को सुरक्षित रखना जरूरी है। कैराना जैसे ग्रामीण-शहरी क्षेत्रों में ऐसी समस्याएं आम हैं, लेकिन प्रशासनिक सक्रियता से इन्हें नियंत्रित किया जा सकता है।

Responsive Ad Your Ad Alt Text
Responsive Ad Your Ad Alt Text

Related Post

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Responsive Ad Your Ad Alt Text